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जैनरस्न ( उत्तरार्द्ध)
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विशेषरूपसे व्यवस्थित कर, जिस ध्येयके लिए महात्मा गाँधीने यह युद्ध आरंभ किया है, उस ध्येयके पास देशको ले जानेकी महनत करेंगे । वीरचंदभाईको, अन्तःकरणके साथ अभिनंदन है और हृदयकी अनेक शुभेच्छाएँ हैं।"
वीरचंदभाई ता० २० सितंबर सन् १९३० को बंबईकी संग्राम समितिके प्रमुख हुए । सोलह दिन तक शानके साथ काम किया और ६ ठी अक्टोबर सन् १९३० को पकड़े गये
और मजिस्ट्रेटने ४ महीने तकके लिए उनको सरकारके महमान रहनेके लिए यरवडाकी जेलमें भेज दिया। आज वे सरकारके महमान हैं।
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