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श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन ७ की पत्री मेघवाईका भी देहांत हो गया। उनकी सन्तानको हीरजीमाईने मातापिताका वियोग मालूम न होने दिया । और वेटजी माईका लड़का कुँवरजीभाई भी हीरजीमाईको अपने पिताके समान समझता है।
पिछले दस बरससे हीरजीभाईका जीवन प्रायः परमार्थके कामों में ही बीतता है। वे चंबईकी श्रीकच्छी दसा ओसवाल जैन ज्ञातिके और उसके जिनमंदिरके ट्रस्टी हैं। कच्छी दमा ओसवाल जैन बोर्डिंग और पाठशालाकी मेनेजिंग कमेटीके सभ्य हैं । सेठ नरसी नाथा चेरिटीफंटके ट्रस्टी हैं । नलिया पांजरापोल की व्यवस्थापक कमेटीके सभ्य है। लाडण खीमजी ट्रस्ट फंडके ट्रस्टी हैं। नलिया जैन बालाश्रमके ट्रस्टी हैं। कच्छ कोहाय सदागम प्रवृति और पांजरापोलके ट्रस्टी हैं। नलियाकी जैन कन्याशालाके व्यवस्थापक हैं । कच्छी दप्ता ओसवाल जैन स्वयंसेवक ममानके स्थापक, व्यवस्थापक और ट्रस्टी हैं । कच्छी जैन बालाश्रमको जुदा जुदा करके अबतक दम हमारकी सहायता दी है। कच्छी दसा ओमवाल सेवक समाजको इन्होंने तीन हजारकी महायता दी है । इसके अलावा पालीताना जैन बोर्डिंग, विधवा. श्रम, पुस्तक प्रकाशन खाता, कच्छ नलिया पांजरापोल और परचूरण मिलाकर रुपये सात हजार खर्चे हैं। ___ हीरजीभाई विनयी, सेवाप्रिय, सत्संगरंगी और उत्तम चारित्रवान हैं।
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