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जैनरस्म ( उत्तराई) मालसीमाईकी लड़की पूरबाईके उजमणेमें इन्होंने पाँच हजार रुपये खर्चे हैं।
सं० १९८५ के मगसरमें भांडुपमें उपधानकी क्रिया कराई थी। ऐसी क्रिया कच्छी दप्सा ओसवाल जातिमें सबसे पहले हुई है । इसमें दस हजार रुपये खर्च हुए थे। उस समय कच्छ नखउ. वाली गंगास्वरूप बहिन भच्चीबाई और कच्छ नलियावाला गंगास्वरूप बहिन कुंवरबाईने पंन्यासनी दानसागरजी महाराज के पाससे दीक्षा ली थी। उनके नाम क्रमशः कमलश्री और कल्याणश्री रखे गये । इनके दीक्षा महोत्सवमें मालसीमांयांके परिवारने अपने मागके एक हजार रुपये खर्चे थे । उपधान और दीक्षाके महोत्सव बड़ी धूमधामसे किये गये थे।
उस समय दो अच्छी बात हो गई (१) सा. शिवजी मेघणकी लड़की और सा. हीरजी पर्वतकी पत्नी रतनबाईको संसारसे विरक्ति और भात्मज्ञाकी प्राप्ति हुई (२) कच्छ खावाळे सा. कानजी नरसीकी लड़की गंगास्वरूप बहिन जेतबाईके मनमें दीक्षा लेनेका विचार भागया और इन्होंने उसी वर्ष वैशाख मुदि ३ को भायखाला कमलश्रीजीके पाससे दीक्षा लेली। उनका नाम जयश्रीमी रक्खा गया ।
. मांडुपके उपधान और दीक्षा महोत्सवका काम कच्छी नैनों के सिवा काठियावाड़ी, गुजराती, मारवाडी भाई बहिनोंने भी
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