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जैनरत्न ( उत्तरार्द्ध)
मालिकोंने, होनहार समझ कर, सं० १९०८ में गणपत सेठको अपना भागीदार बना लिया। वह भागीदारी अबतक चली ना
इनके लग्न सं० १९१६ में श्रीमती कर्मादेवाईके साथ हुए थे। इनसे एक पुत्र लद्धामाई और पुत्री पुरवाईका जन्म हुआ । कर्मादेवाईका देहांत होने पर संवत् १९२२ में इन्होंने दूसरे लग्न किये । उनसे दो पुत्र और एक पुत्रीका जन्म हुआ। पुत्र-नागनीमाई और आसारियाभाई, पुत्री-मट्टचाई । गणपत सेठका देहांत सं० १९६६ में हुआ।
सेठ लद्धाभाई गणपत सेठके बड़े पुत्र लद्धामाईका जन्म सं० १९९१ के मगसर सुदि ८ के दिन हुआ था। सं० १९३७ में इनके लग्न श्रीमती गंगाबाईके साथ हुए । इनसे तीन पुत्र और तीन पुत्रियाँ जन्मे । पुत्र-शामजी, प्रेमजी और नाननी । पुत्रियाँ लालबाई, पानबाई और मोंगीबाई।
१ शामजीभाई इनका जन्म सं० १९४१ में हुभा । इनके लग्न गाँव चारोई ( कच्छ ) के सा मूलमी मारमलकी पुत्री जेवूनाईके साथ हुए । इनसे प्रागनी और भवानजी नामके दो पुत्र और लक्ष्मीबाई व कस्तूरबाई नामकी दो पुत्रियाँ हुई। इनके पुत्र प्रागनीके कांतिलाल और भवानजीके प्राणनीवन नामके पुत्र हैं।
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