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वेवर मूर्तिपूजक जेन
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कॉलेज ऑफ दि फिजिशिअन एन्ड सर्जन ) की पदवी प्राप्त हुई । सन् १९१८ में इन्फ्लुएंजा हुआ था । उसमें लोगोंकी सहायता करने के लिए ' कच्छी दसा ओसवाल जैन हॉस्पिटल और ' कच्छी वीसा ओसवाल जैन हॉस्पिटल, ऐसे दो हॉस्पिटल धर्मादेके खुले थे । उनमें इन्होंने ऑनरेरी डॉक्टर का काम किया था । यह समय डॉक्टरोंके लिए स्वर्णमुद्राएँ जमा करनेका था । एक एक मिनिट उनके लिए धन कमाता था । ऐसे समय में इन्होंने अपने समयका जो योग दिया वह बहुत ही कीमती और इनकी सेवाभावनाका ज्वलंत उदाहरण था ।
गवर्नमेंटने इनकी सेवाओंसे संतुष्ट होकर इन्हें जे. पी. की पदवी दी और कच्छी ओसवाल जातिने इन्हें मानपत्र दिया । सन् १९९८ में सिंगल सिटिंग पावर के साथ इन्हें ऑनरेरी मजिस्ट्रेटका ओहदा मिला ।
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अनंतनामजी महाराजके जिनमंदिर के ये ट्रस्टी हैं । कच्छी दसा ओसवाल जैन महाजन (पंचायत) के ये प्रमुख
कच्छी दसा ओसवाल जैन पाठशालाकी मॅनेजिंग कमेटी के दस साल तक सेकेटरी थे। दो साल से इसके ग्रे प्रमुख हैं । कच्छी दसा ओसवाल जैन बोर्डिंगकी कमेटीके भी ये प्रमुख हैं ।
सेल्स एण्ड पब्लिक सेफ्टी कमेटी के ये प्रमुख हैं। कच्छी प्रजापरिषदकी स्थापना करने वालोंमें से से एक है। पहले वर्ष बंबई
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