SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 642
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वेवर मूर्तिपूजक जेन २५ कॉलेज ऑफ दि फिजिशिअन एन्ड सर्जन ) की पदवी प्राप्त हुई । सन् १९१८ में इन्फ्लुएंजा हुआ था । उसमें लोगोंकी सहायता करने के लिए ' कच्छी दसा ओसवाल जैन हॉस्पिटल और ' कच्छी वीसा ओसवाल जैन हॉस्पिटल, ऐसे दो हॉस्पिटल धर्मादेके खुले थे । उनमें इन्होंने ऑनरेरी डॉक्टर का काम किया था । यह समय डॉक्टरोंके लिए स्वर्णमुद्राएँ जमा करनेका था । एक एक मिनिट उनके लिए धन कमाता था । ऐसे समय में इन्होंने अपने समयका जो योग दिया वह बहुत ही कीमती और इनकी सेवाभावनाका ज्वलंत उदाहरण था । गवर्नमेंटने इनकी सेवाओंसे संतुष्ट होकर इन्हें जे. पी. की पदवी दी और कच्छी ओसवाल जातिने इन्हें मानपत्र दिया । सन् १९९८ में सिंगल सिटिंग पावर के साथ इन्हें ऑनरेरी मजिस्ट्रेटका ओहदा मिला । हैं। " अनंतनामजी महाराजके जिनमंदिर के ये ट्रस्टी हैं । कच्छी दसा ओसवाल जैन महाजन (पंचायत) के ये प्रमुख कच्छी दसा ओसवाल जैन पाठशालाकी मॅनेजिंग कमेटी के दस साल तक सेकेटरी थे। दो साल से इसके ग्रे प्रमुख हैं । कच्छी दसा ओसवाल जैन बोर्डिंगकी कमेटीके भी ये प्रमुख हैं । सेल्स एण्ड पब्लिक सेफ्टी कमेटी के ये प्रमुख हैं। कच्छी प्रजापरिषदकी स्थापना करने वालोंमें से से एक है। पहले वर्ष बंबई Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy