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२४ श्री महावीर स्वामी-चरित
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प्रभु बोले:--
१-हाथी-अबसे श्रावक समृद्धिके-दौलतके-क्षणिक सुखमें लुब्ध होंगे । हाथीके समान शरीर रखते हुए भी आलसी होकर घरमें पड़े रहेंगे । महासंकटमें आ पड़नेपर भी और परचक्रका भय होनेपर भी वे संयम नहीं लेंगे । यदि कुछ ले लेंगे तो कुसंग दोषसे उसे छोड़ देंगे । कुसंग दोषमें भी संयम पालनेवाले विरले ही होंगे।
२-बंदर-दूसरे स्वमका फल यह है कि गच्छके स्वामी आचार्य लोग बंदरके समान चपल (अस्थिर) स्वभाववाले, थोड़ी शक्तिवाले और व्रत-पालनमें प्रमाद करनेवाले होंगे । इतना ही नहीं जो धर्ममें स्थिर होंगे उनके भावोंको भी विपरीत बनायँगे । धर्मके उद्योगमें तत्पर तो विरले ही निकलेंगे। जो खुद धर्माचरणमें शिथिल होते हुए भी दूसरोंको धर्मोपदेश देंगे उनकी लोग ऐसे ही दिल्लगी करेंगे जैसे गावोंके लोग शहरमें रहनेवाले (श्रमसे डरनेवाले) लोंगोंकी किया करते हैं । हे राजन् , भविष्यमें इस तरहके प्रवचनसे अज्ञात पुरुष (आचार्य ?) होंगे।
३-क्षीरवृक्ष-तीसरे स्वमका फल यह है कि, सातों क्षेत्रों में द्रव्यका उपयोग करनेवाले, क्षीरवृक्षके जैसे दातार श्रावक होंगे । उन्हें लिंगधारी ( वेषधारी) ठग रोक लेंगे, ( अपने रागी बना लेंगे ) ऐसे पाखंडियोंकी संगतिसे सिंहके समान सत्त्वशील आचार्य भी उन्हें श्वानके जैसे सारहीन मालूम होंगे। सुविहित मुनियोंकी विहारभूमिमें ऐसे लिंगधारी शूलकासा त्रास
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