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जैन - रत्न
महावीर स्वामीने जवाब दिया: - " हे गौतम : हमारे मोक्ष जानेके बाद तीन बरस और साढ़े आठ महीने बीतने पर पाँचवाँ आरा आरंभ होगा । हमारे निर्वाण जानेके उन्नीस सौ और चौदह बरस बाद पाटलीपुत्रमें म्लेच्छ कुलमें एक लड़का पैदा होगा। बड़ा होनेपर वह राजा बनेगा और कल्कि, रुद्र और चतुर्मुख नाम से प्रसिद्ध होगा । उस समय मथुराके रामकृष्णका मंदिर अकस्मात - पुराना वृक्ष जैसे पवनसे गिर जाता है वैसे ही गिर पड़ेगा। क्रोध, मान, माया और लोभ उसमें इसी तरहसे जन्मेंगे जैसे लक्कड़में घुणा जातिका कीड़ा पैदा होता है । उस समय प्रजाको राजाका और चोरोंका दोनों हीका भय बना रहेगा । गंध और रसका क्षय होगा । दुर्भिक्ष और अतिवृष्टिका प्रकोप रहेगा । कल्कि अठारह बरसका होगा तब तक महामारीका रोग रहा करेगा । फिर कल्कि राजा बनेगा। " एक बार कल्कि राजा फिरनेको निकलेगा । रस्तेमें पाँच स्तूपों को देखकर वह पूछेगा कि, – “ ये स्तूप किसने बनवाये हैं ? " उसे जवाब मिलेगा कि, " पहले नंद नामका एक राजा हो गया है । वह कुबेरके भंडारी जैसा धनिक था । उसने इन स्तूपों के नीचे बहुतसा धन गाड़ा है । आज तक उस । धनको किसी राजाने नहीं निकलवाया । " धनका लोभी राजा उन स्तूपोंको खुदवाकर धन निकाल लेगा ।
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फिर वह यह सोचकर कि शहरमें और स्थानों में भी धन गड़ा हुआ होगा, सारे शहरको खुदवा डालेगा । उसमेंसे एक लवणदेवी नामकी शिलामयी गाय निकलेगी । वह चौराहे में.
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