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२४ श्री महावीर स्वामी-चरित
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सात दिन तक बरसेगा । पहला पुष्कर मेघ बरसकर पृथ्वीको तृप्त करेगा । दूसरा क्षीर मेघ बरसकर अनाज पैदा करेगा। तीसरा घृत मेघ स्नेह ( चिकनापन ) पैदा करेगा । चौथा अमृत मेघ ओषधियाँ उत्पन्न करेगा । पाँचवाँ रस मेघ पृथ्वी वगैराको रसमय बनायगा। ___ " इस तरह पैंतीस दिन तक दुर्दिन नाशक दृष्टि होगी। बादमें वृक्ष, औषध, लता इत्यादि हरियाली देखकर बिलमें रहनेवाले मनुष्य खुश होकर बाहर निकलेंगे । उसके बाद भारतभूमि फलवती होगी । मनुष्य मांस खाना छोड़ देंगे । फिर जैसे जैसे समय बीतता जायगा वैसे ही वैसे मनुष्योंके रूपमें, शरीरके संगठनमें, आयुष्यमें और धान्यादिमें वृद्धि होती जायगी । क्रमशः सुखकारी पवन बहेगा, अनुकूल ऋतुएँ होंगी और नदियोंमें जल बढ़ेगा । इससे मनुष्य
और तिर्यंच सभी नीरोग हो जायेंगे। ___ " दुःखमा कालके ( उत्सर्पिणीके दूसरे ) आरेके अंतमें इस भारतवर्षमें सात कुलकर होंगे । (१) विमलवाहन (२) सुदाम ( ३ ) संगम (४) सुपार्श्व (५) दत्त ( ६ ) सुमुख (७) संमुची।
" उनमेंके पहले विमलवाहनको जातिस्मरणज्ञान होगा। इससे वे गाँव और शहर बसायँगे, राज्य कायम करेंगे, हाथी, घोड़े, गाय, बैल वगैरे पशुओंका संग्रह करेंगे और शिल्प, लिपि और गणितादिका व्यवहार लोगोंमें चलायँगे । बादमें
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