SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 464
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २४ श्री महावीर स्वामी-चरित ४३१ v wvvvv vvvvvvvvvvvv ~ ~ ~ wwwwwww सात दिन तक बरसेगा । पहला पुष्कर मेघ बरसकर पृथ्वीको तृप्त करेगा । दूसरा क्षीर मेघ बरसकर अनाज पैदा करेगा। तीसरा घृत मेघ स्नेह ( चिकनापन ) पैदा करेगा । चौथा अमृत मेघ ओषधियाँ उत्पन्न करेगा । पाँचवाँ रस मेघ पृथ्वी वगैराको रसमय बनायगा। ___ " इस तरह पैंतीस दिन तक दुर्दिन नाशक दृष्टि होगी। बादमें वृक्ष, औषध, लता इत्यादि हरियाली देखकर बिलमें रहनेवाले मनुष्य खुश होकर बाहर निकलेंगे । उसके बाद भारतभूमि फलवती होगी । मनुष्य मांस खाना छोड़ देंगे । फिर जैसे जैसे समय बीतता जायगा वैसे ही वैसे मनुष्योंके रूपमें, शरीरके संगठनमें, आयुष्यमें और धान्यादिमें वृद्धि होती जायगी । क्रमशः सुखकारी पवन बहेगा, अनुकूल ऋतुएँ होंगी और नदियोंमें जल बढ़ेगा । इससे मनुष्य और तिर्यंच सभी नीरोग हो जायेंगे। ___ " दुःखमा कालके ( उत्सर्पिणीके दूसरे ) आरेके अंतमें इस भारतवर्षमें सात कुलकर होंगे । (१) विमलवाहन (२) सुदाम ( ३ ) संगम (४) सुपार्श्व (५) दत्त ( ६ ) सुमुख (७) संमुची। " उनमेंके पहले विमलवाहनको जातिस्मरणज्ञान होगा। इससे वे गाँव और शहर बसायँगे, राज्य कायम करेंगे, हाथी, घोड़े, गाय, बैल वगैरे पशुओंका संग्रह करेंगे और शिल्प, लिपि और गणितादिका व्यवहार लोगोंमें चलायँगे । बादमें Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy