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जैनरत्न (उत्तरार्द्ध) ५०००) कच्छी ओसवाल जैन बोर्डिंग माटुंगेमें ।
४५००) कच्छी ओसवाल देहरावासी जैन पाठशालामें । ५००००) अपने गाँव लायनाके बाहर अपने छोटे भाई तेज
कायाकी शामलातसे एक अच्छी धर्मशाला बनवाई । २५०००) गाव लायनेमें एक मंदिर, दो उपाश्रय और एक
महाजनवाडी, पंचायती, इनकी देखरेखमें बने । उनमें देखरेख रखनेके अलावा अपने पाससे
पचीस हजार रुपये भी दिये। ५०००) चिल्ड्रन्स होम उमरखाड़ी को।
लायजेमें एक कन्याशाला चलाते हैं और उसके तीनसौ रुपये वार्षिक खर्चके देते हैं। हरसाल गुप्त और प्रकट रूपसे कई हजार रुपये
दान दिया करते हैं। इनका ब्याह श्रीमती खीयंदीबाईके साथ हुआ था । उनसे चार पुत्र-गांगनी, रवनी, पालणनी और मेघनी तथा एक पुत्री-श्रीमती हीराबाई थे।
१-गांगजीभाई-इन का ब्याह श्रीमती देमाबाईके साथ हुआ था । अठारह बरसकी उम्रमें इनका देहांत हो गया ।
२ सेठ रवजीभाई इनका जन्म संवत १९३७ के श्रावणमें हुआ था। ये साधारण अभ्यास करके अपने पिताके साथ धंधा करने
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