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२४ श्री महावीर स्वामी-चरित
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होंगे । सुलसाका जीव निर्मम नामक पन्द्रहवें तीर्थकर होंगे। रेवतीका जीव चित्रगुप्त नामक सोलहवें तीर्थकर होंगे। गवालीका जीव समाधि नामक सत्रहवें तीर्थकर होंगे । गागुलका जीव संवर नामक अठारहवें तीर्थकर होंगे। द्वीपायनका जीव यशोधर नामक उन्नीसवें तीर्थकर होंगे । कर्णका जीव विजय नामक बीसवें तीर्थकर होंगे । नारदका जीव मल्ल नामक इक्कीसवें तीर्थकर होंगे । अंबड़का जीव देव नामक बाईसवें तीर्थकर होंगे । बारहवें चक्रवर्तीका जीव अनंतवीर्य नामक तेईसवें तीर्थकर होंगे । और स्वातिका जीव भद्र नामक चौबीसवें तीर्थकर होंगे ।* ___ यह चौबीसी जितने समयमें होगी उतने समयमें दीर्घदंत, गूढदंत, शुद्धदंत, श्रीचंद्र, श्रीभूति, श्रीसोम, पद्म, दशम, विमल, विमलवाहन और अरिष्ठ नामके बारह चक्रवर्ती; नंदी, नंदीमित्र सुंदर बाहु, महाबाहु, इतिबल, महाबल, बल, द्विपृष्ट और त्रिपृष्ट नामके नौ वासुदेव ( अर्द्धचक्री ) जरांत, अजितधर्म, सुप्रभ, सुदर्शन, आनंद, नंदन, पद्म
और संकर्षण नामके नौ प्रतिवासुदेव; और तिलक, लोहजंघ, वज्रजंघ, केशरी, बली, प्रल्लाद, अपराजित, भीम
और सुग्रीव नामके नौ प्रतिवासुदेव होंगे। __इस तरह उत्सर्पिणी कालमें तिरसठ शलाका पुरुष होंगे।"
* ये नाम त्रिषष्ठि शलाका पुरुष चरित्रसे लिये गये है । पूर्वभवों में पाठांतर भी हैं।
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