________________
२४ श्री महावीर स्वामी-चरित
www.rammmmmmmmmmmmwww
वास अभिषेक हुपके चौबीसव
ताईस तीर्थकरा
इन्द्र भी अपने आधीन देवताओं के साथ, स्नात्र करानेके लिए वहाँ आ पहुँचे। ___ आभियोगिक देव तीर्थजल ले आये और सब इन्द्रोंने, इन्द्राणियोंने और सामानिक देवोंने अभिषेक किया । सब दो सौ पचास अभिषेक हुए। एक अभिषेकमें चौसठ हजार कलश होते हैं। इस अवसर्पिणी कालके चौबीसवें तीर्थकर महावीर स्वामीका
शरीर-प्रमाण दूसरे तेईस तीर्थकरोंसे जन्मोत्सव और बहुत ही छोटा था, इसलिए अभिषेक बलप्रदर्शन करनेकी सम्मति देनेके पहले इन्द्रके
मनमें शंका हुई कि, भगवानका यह बाल-शरीर इतनी अभिषेक-जल-धाराको कैसे सह सकेगा? ___ अवधिज्ञानसे भगवानने यह बात जानी और उन्होंने अपने बाएँ पैरके अंगूठेसे मेरु पर्वतको दबाया । पर्वत काँप उठा । प्रभुजन्म-महोत्सवके समय यह उपद्रव कैसे हुआ? इन्द्रने सोचा। उसे प्रभुका बल* विदित हुआ और उसने तत्कालही क्षमा माँगी। ___ * तीर्थकरोंमें कितना बल होता है ? इसका उल्लेख शास्त्रोंमें इस तरह किया गया है ,___ बारह योद्धाओंका बल एक गोद्धा (बैल) में होता है; दस बैलोंका बल एक घोड़ेमें होता है; बारह घोड़ोंका बल एक भैंसेमें होता है; पन्द्रह भैंसोंका बल एक मत्त हाथीमें होता है; पाँच सौ मत्त हाथियोंका बल एक केसरी सिंहमें होता है; दो हजार केसरी सिंहाँका बल एक अष्टापद पक्षीमें होता है। दस लाख अष्टापदोंका बल एक बलदेवमें होता है; दो बलदेवोंका बल एक वासुदेवमें होता है; दो वासुदेवोंका बल एक चक्रवर्ती होता है; एक लाख चक्रवर्तियोंका बल एक नागेन्द्र में होता है; एक करोड़ नागेन्द्रोंका Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com