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२४ श्री महावीर स्वामी-चरित www
mmmmm गाँवमें आये । और विक्रम संवत ५१३ शूलपाणि यक्षको प्रति- पूर्वका पहला चौमासा यहीं किया। बोध (पहिला चौमास) पन्द्रह दिन इस चौमासेके मोराक
गाँवमें बिताये थे । और शेष साढ़े तीन महीने अस्थिक गाँवमें बिताये थे । गाँवमें आकर गाड़ियाँ नदी पार की मगर बैलको इतनी अधिक महनत पड़ी कि वह खून उगलने लगा । धनदेवने गाँवके लोगोंको इकट्ठा कर उन्हें, प्रार्थना . की:-"आप मेरे इस बैलका इलाज करानेकी कृपा करें । मैं इसके खर्चेके लिए आपको यह धन भेट करता हूँ।" लोगोंने उसकी प्रार्थना स्वीकार की और धन ले लिया । धनदेव चला गया। गाँवके लोग धन हजम कर गये। बैलकी कुछ परवाह नहीं की। बैल आर्त ध्यानमें मरकर व्यंतर देव हुआ। उसने देव होकर लोगोंकी क्रूरता, अपने विभंग ज्ञानसे देखी और क्रुद्ध होकर गाँवमें महामारीका रोग फैलाया। लोग इलाज करके थक गये; मगर कुछ फायदा नहीं हुआ। फिर देवताओंकी प्रार्थना करने लगे। तक व्यंतर देव बोला:-“ मैं वही बैल हूँ जिसके लिए मिला हुआ धन तुम खा गये हो और जिसे तुमने भूखसे तड़पाकर मार डाला है । मेरा नाम शूलपाणि है । अब मैं तुम सबको मार डा. लूँगा।" लोगोंके बहुत प्रार्थना करनेपर उसने कहा:-" मरे हुए मनुष्योंकी हड्डियाँ इकट्ठी करो । उसपर मेरा एक मंदिर बनवाओ। उसमें बैलके रूपमें मेरी मूर्ति स्थापन करो और नियमित मेरी पूजा होती रहे इसका प्रबंध कर दो।" गाँववालोंने शूलपाणिका मंदिर बनवा दिया और उसकी सेवा पूजाके लिए इन्द्रशर्मा नामके एक ब्राह्मणको रख दिया । तभीसे इस गाँवका नाम वर्द्धमानकी जगह अस्थिक गाँव हो गया ।
[त्रिषष्ठिशलाका पुरुष चरित्रके गुजराती भाषांतरके फुट नोटमें लिखा है कि-" काठियावाड़का वढ़वाण शहर ही पुराना वर्द्धमान गाँव है । वहीं
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