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२४ श्री महावीर स्वामी-चरित
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शालिशीर्षसे विहारकर प्रभु भद्रिकापुरीमें आये । वहाँ चार
___ मासक्षमण कर वि० सं० ५०८ भद्रिकापुरीमें छठा चौमासा (ई. स. ५६५) पूर्वका छठा
चौमासा वहीं किया। वहींपर गोशालक भी छ: महीनेके बाद पुनः महावीरके पास आ गया। वर्षाकाल बीतनेपर महावीरने नगरके बाहर पारणा किया। ___ आठ महीनेतक अगवानने मगध देशमें विविध स्थानोंमें निर्विघ्न विहार किया । चौमासेके आरंभसे पहले महावीर आलभिका नगरीमें आये।
और वि० स०५०७ (ई. स. ५६४) आलभिका नगरीमें पूर्वका सातवाँ चौमासा वहीं व्यतीत सातवाँ चौमासा किया । चौमासा पूर्ण होनेपर गाँवके
बाहर चौमासीतपका पारणा किया। आलभिकासे विहारकर प्रभु गोशालक सहित कुंडक गाँवमें आये। वहाँ वासुदेव मंदिरमें एक कोने में प्रतिमा धारण कर रह।
कुंडकसे विहार कर प्रभु मर्दन नामक गाँवर्षे आये और वहाँ बलदेवके मंदिरमें प्रतिमा धारण कर रहे ।
मदन गाँवसे बिहार कर प्रभु बहुशाल नामक गाँवमें गये । वहाँ शालवन नामक उद्यानमें प्रतिमा धारण कर रहे । वहाँ एक व्यंतरीने अनेक तरहके उपसर्ग किये।
१-गोशालकने वहाँ वासुदेवकी मूर्तिकी कुचेष्टा की। उसी समय वहाँ पुजारी आया । उसन इसे नग्न जैन साधु समझ इसकी बुराई लोगोंको बतानेके लिये गाँवके लोगोंको बुलाया। लड़के और जवान उसे चपतियाने लगे। बूढ़ोंने उसे पागल समझ छड़वा दिया ।
२-यहाँ भी गोशालक कुचेष्टा करनेसे पिटा । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com