________________
२४ श्री महावीर स्वामी-चरित ३४५ wmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm
संवत ५०९ ( ई. स. ५६६ ) भदिलपुरमें पाँचवाँ चौमासा पूर्वका पाँचवाँ चौमासा वहीं
चौमासी तप (चार महीनेका उपवास) करके बिताया।
चौमासा समाप्त होनेपर तपका पारणा कर वहाँसे प्रभु कदली समागम गाँवमें आये और कायोत्सर्ग करके रहे । गोशालकने वहाँ सदाव्रतमें भोजन किया।
कदली समागमसे विहार कर प्रभु जंबूखंड गाँवमें गये । और वहाँसे तुंबांक गाँवमें गये । वहाँ नंदीषेणाचार्य भी अपने शिष्यों सहित ठहरे हुए थे। ___ जंबूखंडसे विहार कर महावीर कूपिका गाँव गये । वहाँ सिपाही दोनोंको गुप्तचर जानकर, हैरान करने लगे। प्रगल्भा और विजया नामकी दो साध्वियोंने-जो साधुपना न पाल सकनेके कारण परिव्राजिकाएँ हो गई थीं-उन्हें छुड़ाया। __कूपिका गाँवसे प्रभु विशालपुरकी तरफ चले । आगे दो रस्ते फटते थे । वहाँ गोशालक महावीर स्वामीसे अलग होकर राजगृहकी तरफ चला । वे विशाली पहुँचे । वहाँ एक लुहारका
१- कल्पसूत्र और विशेषावश्यकमें इसका नाम क्रमशः 'तंबाल' और 'तंबाक' लिखा है। ___ २ नंदीषणाचार्य पार्श्वनाथकी शिष्य परंपरामेंसे थे । गोशालकने इनके शिष्योंका भी मुनिचंद्राचार्यके शिष्योंकी तरह अपमान किया था । नंदी. षेणाचार्य जिनकल्पकी तुलना करने किसी चौकमें कायोत्सर्ग कर रहे थे। चौकीदारोंने उन्हें चोर समझकर मार डाला।
३ गोशालक एक जंगलमें पहुँचा । वहाँ चोरोंने उसे देखा । एक बोला "कोई द्रव्यहीन नग्न पुरुष आ रहा है ।" दूसरे बोले:-"वह द्रव्यहीन Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com