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२४ श्री महावीर स्वामी-चरित
बखान अच्छे न लगे । इसलिए वह तुरत वहाँ आया जहाँ सभी बालक खेल रहे थे। ___ जब देव पहुँचा तब वे आमलकी क्रीडा करते थे । वर्द्धमान स्वामी और कई लड़के झाड़पर चढ़े हुए थे। देव भयंकर सर्पका रूप धरकर झाड़के लिपट गया । उसे देखकर लड़के बहुत डरे । वर्द्धमान स्वामीने लड़कोंको धीरज बँधाई । फिर प्रभु नीचे उतरे । उन्होंने सर्पको पूँछ पकड़कर एक झटका मारा। वह ढीला पड़ गया और झाड़से उसके बंधन निकल गये । प्रभुने उसे तिनकेकी तरह एक तरफ फेंक दिया। ___ लड़के फिर दूसरा खेल खेलने लगे। उसमें जीतनेवाला दूसरे लड़कोपर सवारी करता था। वर्द्धमान स्वामी जीते । वे सब राजकुमारोंपर चढ़ चढ़ कर दाँव लेने लगे। लड़केका रूप धारण किये हुए देव भी उनके अंदर था। उसकी घोड़ा बननेकी पारी आई । वह प्रभुको लेकर भागा और इतना ऊँचा हो गया कि उसके कंधेपर बैठे हुए वर्द्धमान स्वामी ऐसे मालूम होने लगे मानों वे आकाश में पहुँच गये हैं। लड़के भयसे चिल्लाये । वर्द्धमान स्वामीने अपने ज्ञानबलसे उसकी दुष्टता
१. लड़के झाडपर चढ़ते हैं, एक लड़का उनको पकड़ता है। जब पकड़नेवाला झाड़पर चढ़ता है तब दूसरे कुछ लड़के नीचे कूदकर या उतरकर, पकड़नेवालेकी एक लकड़ी-जो अमुक गोल कुँडालेमें रहती हैदूर फैंक देते हैं । इससे पकड़नेवाले लड़के को वह लकड़ी लेने जाना पड़ता है । जब तक वह लकड़ी कुंडालेमें नहीं होती तबतक वह किसीको नहीं पकड़ सकता । 'यही आमलकी क्रीड़ा' है।
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