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२२ श्री नेमिनाथ-चरित
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होने पर रानीने पुत्ररत्नको जन्म दिया । पुत्रका नाम ' धन , रखा गया । शिशु कालको त्यागकर उसने यौवनावस्थामें पदार्पण किया।
कुसुमपुर नगरमें सिंह मामक रामाकी विमला रानीके धनवती नामकी कन्या थी।
एक दिन वसंत ऋतुमें युवती धनवती सखियोंके साथ, उद्यानकी शोभा देखनेको गयी । उस उद्यानमें घूमते हुए राजकुमारीने, अशोक वृक्षके नीचे हाथमें चित्र लेकर खड़े हुए एक चित्रकारको देखा । धनवतीकी कमलिनी नामक दासीने उसके हाथसे चित्र ले लिया । वह एक अद्भुत रूपवान राजकुमारका चित्र था । सखीने वह चित्र राजकुमारीको दिया। उसको देखकर आश्चर्यके साथ राजकुमारीने पूछा:-" यह चित्र किसका है ? सुर-असुर मनुष्यों में ऐसा रूपवान कौन है ?"
यह सुन, चित्रकार हँसा और बोला:-" अचलपुरके राजा विक्रमधनके युवा पुत्र ( धनकुमार ) का यह चित्र है। राजकुमारी उस रूपपर मोहित हो गई। और उसने प्रतिज्ञा की कि मैं धन कमारको छोड अन्य किसीके साथ शादी नहीं करूँगी। कन्याके पिताको यह बात मालूम हुई। उसने अपना दूत ब्याहका संदेश लेकर अचलपुरके राजा विक्रमधनके यहाँ भेजा । वहाँ जाकर उसने राजाका संदेशा कह सुनाया। राजाने भी स्वीकारता दे दी । धनकुमार और धनवतीका ब्याह हो गया । दोनों पति-पत्नी आनंदसे समय व्यतीत करने लगे। एक बार वसुंधर नामक मुनिसे विक्रम
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