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२२ श्री नेमिनाथ-चरित
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के राजा अनंगसिंहकी रानी शशिप्रभाके गर्भसे पुत्री रूपमें जन्मा। उसका नाम रत्नवती रखा गया ।
चक्रपुर नगरके राजा सुग्रीवके दो रानियाँ थीं । एक यशस्वी और दूसरी भद्रा । यशस्वी रानीके सुमित्र नामक पुत्र था और भद्राके पद्मकुमार । सुमित्र कुमार धर्मात्मा और सदाचारी था और पद्मकुमार था मिथ्यात्वी, अहंकारी और व्यसनी। __एक दिन दुष्टा भद्रा रानीने, यह विचारकर कि यदि सुमित्र जीता रहेगा तो मेरे पुत्र पद्मको राज्य नहीं मिलेगा, सुमित्रको जहर दे दिया । विषके पीते ही सुमित्र पृथ्वीपर मूञ्छित होकर गिर पड़ा। जहर सारे शरीरमें व्याप्त हो गया। जब यह खबर सुग्रीव राजाको मिली तो वे मंत्री सहित वहाँ आये । अनेक तरहके उपचार किये पर विषका असर कम न हुआ । राजा बड़े दुखी हुए । सारे नगरमें भद्राकी अपकीर्ति फैल गई । वह कहीं चुपचाप भाग गई।
चित्रगति विद्याधर विमानमें बैठ आकाशमें फिरने निकला था । घूमते २ वह उसी नगरमें आ निकला । कोलाहल सुनकर उसने विमान नीचे उतारा । पूछने पर लोगोंने उसे विषकी बात सुनाई । उसने जल मंत्र कर सुमित्रपर छिड़का । राजकुमार सचेत हो गया और आश्चर्यसे इधर उधर देखने लगा । राजाने कहा:-" हे पुत्र! तेरी अपर माताने (सोतेली माँने ) तुझको विष दिया था। इन महापुरुषने तुझको जीक दान दिया है। "फिर सुमित्र और उसके पिताने अनेक प्रका
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