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जैन-रत्न
मुखपर मँडराने और रूपरसका पान करनेकी कोशिश करने लगा। वह उसको हटाती; परन्तु वह बार बार लौट आता था। इससे घबराकर वह पुकारी,-"अरे कोई मेरी इस भ्रमर-राक्षससे रक्षा करो! रक्षा करो!" उसके साथकी एक कन्या बोली:." सखि ! सुवर्णबाहुके सिवा तुम्हारी रक्षा करे ऐसा कोई पुरुष दुनियामें नहीं है । इसलिए तुम उन्हींको पुकारो।" सुवर्णबाहु तो इनसे बातें करनेका मौका ढूँढ ही रहा था । वह तुरत यह कहता हुआ झाड़की आड़से निकल आया कि, "जबतक कुलिश बाहुका पुत्र सुवर्णबाहु मौजूद है, तबतक किसकी मजाल है कि, तुम्हें दुःख दे।" फिर उसने एक दुपट्टेके पल्लेसे भँवरेको मारा। भँवरा बेचारा चिल्लाता हुआ वहाँसे चला गया । ___ अचानक एक पुरुषको सामने देखकर सभी बालाएँ ऐसी घबरा गई जैसे शेरको सामने देखकर मनुष्य व्याकुल हो जाते हैं। वे भयविह्वळ खड़ी हुई पृथ्वीकी तरफ देखने लगीं । सुवर्णबाहुने उनको सान्त्वना देते हुए बड़े मधुर शब्दोंमें कहा:--" बालाओ! डरो मत । मैं तुम्हारा रक्षक हूँ। कहो, तुम यहाँ निर्विघ्न तप कर सकती हो न ? तुम्हें कोई क्लेश तो नहीं है ?" राजाके सुमधुर शब्दोंसे उनका भय कम हुआ । एक बोली:-" जबतक पृथ्वीपर सुवर्णबाह राजा राज्य करता है, तबतक किसे अपना जीवन भारी होगा कि वह हमारे तपमें विघ्न डालेगा ? अतिथि, आइए ! बैठिए! "
एक बालाने कदंब पेडके नीचे आसन बिछा दिया । सुवर्णबाहु उसपर बैठ गये । दूसरीने पूछा:-" महाशय, आप कौन
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