________________
१६ श्री शांतिनाथ-चरित
२०३
यथा समय महादेवीके एक पुत्र उत्पन्न हुआ। उसका नाम चक्रायुध रक्खा गया। धीरे २ राजकुमार युवावस्थाको प्राप्त हो सब विद्याओंमें पारंगत हो गये । भगवान शान्तिनाथने राजकुमारका अनेक राजकुमारियोंके साथ विवाह कर दिया। __ कालान्तरमें शान्तिनाथके शस्त्रागारमें चक्ररत्नका प्रादुर्भाव हुआ। उन्होंने चक्ररत्नके प्रभावसे छः खंड पृथ्वीको जीत लिया।
इसके उपरान्त भगवानने वर्षीदान दिया। फिर उन्होंने सहसाम्र वनमें ज्येष्ठ कृष्णा, चतुर्दशीके दिन भरणी नक्षत्रमें एक हजार राजाओंके साथ दीक्षा ग्रहण की । इन्द्रादि देवोंने तप कल्याणकका उत्सव किया । दूसरे दिन भगवानने सुमित्र राजाके यहाँ पारणा किया । राजमन्दिरमें वसुधारादि पाँच दिव्य प्रकट हुए। ___ एक वर्ष तक अन्यत्र विहारकर भगवान फिर हस्तिनापुरके सहसाम्रवनमें आये । यहाँ पौष सुदि नवमीके दिन भरणी नक्षत्रमें उन्हें केवलज्ञान प्राप्त हुआ । इन्द्रादि देवताओंने मिलकर समवसरणकी रचना की और ज्ञानकल्याणक मनाया । भगवानके शासनमें शूकरके वाहनवाला शासन देवता और कमलके आसन पर स्थित, हाथमें कमण्डल, पुस्तकादि धारण करनेवाली 'निर्वाणी' नामकी शासन देवी प्रकट हुई। ___ एक समय विहार करते २ भगवानने फिर हस्तिनापुरमें पदार्पण किया । इस समाचारको सुनकर उनका पोता कुरुचंद्र भगवानके दर्शनार्थ आया। उसने हाथ जोड़कर पूछ:-"मैं पूर्व जन्मके किन कर्मोंसे इस जन्ममें राजा हुआ हूँ और मुझे
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com