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जैन-रत्न .or.rrrrrrmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm.
श्रेयांसनाथजीके परिवारमें, ईश्वर नामका यक्ष और मानवी नामकी शासनदेवी हुई । इसी तरह ७६ गणधर, ८४ हजार साधु, १ लाख ३ हजार साध्वियाँ, १३०० चौदह पूर्वधारी, छः हजार अवधिज्ञानी, छः हजार मनःपर्यवज्ञानी, साढे छः हजार केवली, ११ हजार वैक्रिय लब्धिधारी, ५ हजार वादलाब्धिधारी, २ लाख १९ हजार श्रावक और ४ लाख ३६ हजार श्राविकाएँ थे।
प्रभु अपना मोक्षकाल समीप जान सम्मेदशिखरपर गये। एक हजार मुनियोंके साथ उन्होंने अनशन व्रत लिया और एक मासके अन्तमें श्रावण सुदि २ के दिन घनिष्ठा नक्षत्रमें प्रभु माक्ष गये । इन्द्रादि देवोंने मोक्षकल्याणका उत्सव किया।
श्रेयांसनाथकी आयु ८४ लाख वर्षकी थी, उसमेंसे वे २१ लाख वर्ष कुमार वयमें रहे, ४२ लाख वर्ष राज्यमें रहे और २१ लाख वर्ष उन्होंने चारित्र पाला। इनका शरीर ८० धनुष ऊँचा था।
शीतलनाथजीके निर्वाणके बाद ६६ लाख ३६ हजार वर्ष १०० सागरोपम न्यून एक कोटि सागरोपम बाद श्रेयांसनाथजी मोक्ष गये । इनके तीर्थमें त्रिपृष्ट वासुदेव, चल नामक बलदेव, और अश्वग्रीव प्रति वासुदेव हुए।
. १ इसका दूसरा नाम 'मनुज' भी है । २ इसका दूसरा नाम 'श्रीवत्सा' भी है।
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