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५ श्री सुमतिनाथ स्वामी-चरित
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नौ महीने और साढ़े सात महीने बीतने पर वैशाख मुदि८ के दिन चंद्र नक्षत्रमें मंगलादेवीने कोंच पक्षीके चिन्हवाले पुत्ररत्नको जन्म दिया। इन्द्रादिदेवोंने जन्मकल्याणक किया। पुत्रका नाम सुमतिनाथ रखा गया । कारण,-एक बार रानीने, ये गर्भ में थे तब, एक ऐसा न्याय किया था जो किसीसे नहीं हो सका था। ___ युवा होनेपर प्रभुने अनेक ब्याह किये, राज्य किया और फिर वैराग्य उत्पन्न होनेपर वर्षीदान दे वैशाख सुदि ९ के दिन मघा नक्षत्रमें एक हजार राजाओंके साथ दीक्षा ले ली । इन्द्रादिदेवोंने तपकल्याणक किया। दूसरे दिन विजयपुरके राजा पद्मराजके घर उनने बेलाका पारणा किया।
बीस बरस विहार करके प्रभु वापिस सहसाम्र वनमें-जहाँ दीक्षा ली थी-आये । वहाँ प्रियंगु ( मालकांगनीका झाड ) के नीचे छ? तप करके काउसग्गमें रहे । घाति कर्मोंका नाश होनेसे चैत्र सुदि ११ के दिन मघा नक्षत्रमें उन्हें केवलज्ञान उत्पन्न हुआ । इन्द्रादि देवोंने ज्ञानकल्याणक किया ।
उनके शासनमें तुंबुरु नामका यक्ष और महाकाली नामकी शासनदेवी हुए। उनके संघमें १०० गणधर ३ लाख २० हजार साधु, ५ लाख ३० हजार साध्वियाँ, २ हजार ४ सौ चौदह पूर्व धारी, ११ हजार अवधिज्ञानी, १० हजार साढ़े चार सौ मनः पर्यवज्ञानी, १३ हजार केवली, १८ हजार चार सौ वैक्रिय लब्धिवाले, १० हजार साढ़े चार सौ वादलब्धिवाले, २ लाख ८१ हजार श्रावक और ५ लाख १६ हजार श्राविकाएँ थे।
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