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दफा ६४]
वैवाहिक सम्बन्ध
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यह कायदा समग्र ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र वर्णोंमें माना जायगा यानी अपने अपने वर्ण में विवाह जायज़ माने जायेंगे भिन्न वर्ण में नहीं। मगर जब एकही वर्णके अन्दर अनेक जातियां हों और उन भिन्न जातियोंमें
वाह हो गया हो तो हिन्दलों के अनुसार वह जायज माना जायगा-देखो 13 M. I. A. 141; 3 B L. R. ( P. C. ) 1-4; 12 W. R. ( P. C.) 41; 1 Mad. H. C. 478; 15 Cal. 708; 33 Bom. 693; 11 Bom. L. R. 822; 14 Mad. I. A. 346; अगर किसी खास परिवारमें ऐसा रवाज न हो तो जायज़ मान जायगा देखो; नगेन्द्रनरायन बनाम रघुनाथ नरायन W R. 1864; C. R. 20 at P. 23.
जब कोई विवाह हिन्दू पुरुष और ईसाई स्त्रीके साथ हुआ हो, जो स्त्री विवाह काल में हिन्दू हो गयी हो, तो जायज़ माना जायगा। देखो-33 Mal. 342 हालमें महाराजा श्री इन्दौर नरेश ने एक यूरोपियन महिला को हिन्दू बनाकर उसके साथ विवाह किया है। यहां यह प्रश्न है कि उसके लड़के गद्दीके अधिकारी होंगे या नहीं ? यह बात तो स्पष्ट है कि महाराज की निजी जायदादके वे अधिकारी अवश्य हो सकते हैं गद्दी के अधिकारी का प्रश्न सन्देहित है।
जब कि किसी हिन्दू और किसी गैर हिन्दूके दरमियान विवाह हो जाते हैं तो उनका निर्णय कठिन हो जाता है अगर इस किस्मके विवाह इङ्गलैण्ड में हों तो वह इङ्गलिश लॉ के अनुसार जायज़ माने जा सकते हैं मगर हिन्दुस्थानमें उनकी हालत भिन्न होगी। हिन्दूलें। ऐसे विवाह को नहीं मानता हिन्दुस्थान की को ऐसे विवाहको जायज़ नहीं मानेगी। देखो ट्रिवेलियन की राय 2 Ed. P. 35.
धर्मशास्त्रकारोंका भी यही मत है; देखो मनु कहते हैं किसवर्णाग्रे दिजातीनां प्रशस्तादारकर्मणि कामतस्तु प्रवृत्ताना मिमाः स्युःक्रमशो वराः। ३-१२ नब्राह्मणक्षत्रिययो रापद्यपिहि तिष्ठतोः कस्मिश्चिदपि वृत्तान्त शूद्राभार्योपदिश्यते । ३-१४ शूद्रांशयनमारोप्य ब्राह्मणोयात्यऽधोगतिम् जनयित्वा सुतं तस्यां ब्राह्मण्यादेवहाते । ३-१७