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खर्च पानेका अधिकार आदि
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दफा ७३४-७३६ ]
दफा ७०३५ विधवाकी अन्त्येष्ठोका ख़र्च
जिस जायदाद में से विधवाको भरण पोषणका खर्च दिया जाता हो उसी जायदादमें से विधवाकी अन्त्येष्ठी ( मरनेका और उसके पश्चात्का कर्म ) क्रियाका सब खर्च दिया जायगा, देखो - रतनचन्द बनाम जौहरचन्द 22Bom. 818 सदाशिव भास्कर जोशी बनाम धाकूबाई 5 Bom. 450. बैद्यनाथ ऐय्यर बनाम ऐय्यासामी ऐय्यर 32 Mad. 191.
दफा ७३६ ख़र्चकी रक्कममें अदालतका कर्तव्य
अगर दोनों पक्षकार भरण पोषणकी रकम निश्चित न कर सके तो अदा लत उस समय रक़म निश्चित करेगी। देखो - नवगोपालराय बनाम अमृतमयी दासी 24 W. R. C. R. 428 मीलू बनाम फूलचन्द 3 Ben. Sel. R. 223 ( New edition 298 ); 9 B. LR. 11-28. अचलतकी मुकर्ररकी हुई रक्रममें सिवाय किसी खास कारणके प्रिवी कौन्सिल भी दखल नहीं देगी, देखो - 12 M. I. A. 397; 1 BL. R. PC. 1; 10 W. R. P. C. 1725; 5 I. A. 55; 32 I. A. 261; 28 Mad. 508; 10 C. W. N. 95; 7 Bom. L. R. 907.
भरण पोषणके खर्च दिये जाने की आज्ञा देनेके लिये अदालतको उचित यही है कि वह उस खर्चका बोझ किसी खास जायदादपर डाले, देखो - मंशा देवी बनाम जीवनमल 6 All. 617; 6 Mad. 83; 12 Bom H, C. 229. या इतनी नक़द रक़म अलग करदे कि जिसके सूदसे वह खर्च दिया जा सके या अगर ज़रूरत हो तो जायदादका कोई हिस्सा बेचकर उतनी रक्रम जमा करावे, कुछ सूरतोंमें अगर मुनासिब हो तो उस खर्चके लिये वारिस का ज़मानत देनाही अदालत काफ़ी समझ लेगी। अदालत जो खर्च मुक़र्रर करे वह भरण पोषण और मकानका भाड़ा दोनोंके लिये होगा; देखो - 6All. 617-620. जायदादकी आमदनीका कोई हिस्सा खर्चके लिये अलहदा न करके कोई सालाना रक्कम मुकर्रर करना ही अच्छा होगा यह बात 2 All 777 में मानी गयी है ।
गोपिकाबाई बनाम दत्तात्रेय (1910) 24 Bom. 386-3893 2 Bom 1. R. 191. वाले मुक़दमे में अदालतने कहाकि "भरण पोषणके खर्च देनेकी डिकरीमें अदालतको कुछ ऐसे शब्द रखने चाहिये कि भविष्यमें जैसी ज़रूरत पड़े अदालत अपनी उस डिकरीमें फेर बदल कर सके ।" परन्तु इसपर मि० ट्रिवेलियनका कहना है कि ऐसी डिकरीमें बार बार मुक़द्दमेबाजी होनेका भय है । भरण पोषणके खर्चकी जो रक्रम डिकरीमें मुक़र्ररकी जाय भविष्य में अगर उसका बदलना ज़रूरी हो तो दूसरी डिकरीके द्वारा बदली जा सकती है ।