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स्त्री-धन
[ तेरहवां प्रकरण
हो यह अर्थ नहीं समझना। मदरास हाईकोर्ट ने यह माना कि स्त्रीधनके वारिसों में सरवाइवरशिपका हक़ नहीं होता, चाहे वह सुश्तरका सान्दानके भी मेम्बर हों 27 Mad. 300. मगर यह ध्यान रहे कि मदरासमें मिताक्षरा जिस तरह पर माना जाता है उसके अनुसार मुश्तरका खान्दान जो काबिज़ शरीक (Te:nant in Conymon ) हो जिसमें दूसरे दूरके आदमी भी शरीक हो सकते हैं उनके बीच में सरवाइवरशिपका हक रहता है, देखो-29 I A. 156; 25 Mad. 678; 7 C. W. N. 1-8; 4 130m. L. R. 657; 9M. I. A. 643.
(७) पुत्रका पुत्र ( पौत्र)-अर्थात् भिन्न भिन्न पुत्रोंके पुत्र-पर स्टिरिप्ल' ( Per stiryes ) हिस्सा लेंगे 'पर केपिटा' : Per Capita) नहीं ( देखो दफा ५५८) अगर किसी लड़केका दत्तक पुत्र हो, तो उसे उतनाही हिसला मिलेगा जितना कि उसके दत्तक पिताको मिलता अगर वह जीवत होता देखो--4 Cal. 425; 3 C. L. R. H34.
(८) ऊंची जातियों में सौतेली स्त्रीकी बिनविवाहिता लड़की-देखो घारपुरे हिन्दूलाँ 2 od P. 268 देखो मिताक्षरा २-१४५.
अनपत्य हीनजाति स्त्रीधनंतुभिन्नोदरा प्युत्तमजातीय सपत्नीदुहितागृह्णाति ।
संतान रहित हीन जातिके स्त्रीधनको भिन्नोदर और उत्तम जातिमें सौतेली स्त्रीकी लड़की ले।
[३] बिना संतान वाली स्त्रीके स्त्रीधनकी बरासतका क्रम निम्न लिखित होता हैः--
(१) पति (२) सौतेला पुत्र ( ३ ) सौतेला पौत्र ( ४ ) सौतेला परपोता (पौत्रका पुत्र ) (५) दूसरी स्त्री (६) सौतेली बेटी (७) सौतेली बेटीका पुत्र (८) पति की माता (६) पतिका बाए (१०) पतिके भाई. (११) पतिके भाई के पुत्र । (१२) पति के दूसरे गोत्रज सपिण्ड, पोछे समा. नोदक और बन्धु ।
जिस ढंग से स्त्रीका विवाह हुआ हो उसीपर उसकी जायदादकी वरासतका कायदा निर्भर है।
ब्राह्मविवाह --अगर स्त्रीका विवाह ब्राह्मरीतिसे हुआ हो तो स्त्रीकी जायदाद पतिको मिलती है, देखो --भाऊ बनाम रधुनाथ 30 Bom. 229; 7 Bom. L. R. 936; भीमाचार्य बनाम रामाचार्य 33 Bom. 452, 11 Bom. 654; उसके बाद मर्दो की वरासत के क्रमानुसार पतिके सपिण्ड आदिकोंको स्त्री धन मिलता है, देखो--25 Cal. 364; 8 All. 393.