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बाल विवाह निषेधक एक्ट
व्याख्या-- यदि किसी विवाहके सम्बन्धमें इस एक्टके अनुसार किया हुआ कोई जुर्म बतलाया जाता हो तो इस विवाहके होनेसे एक सालके अन्दर इस्तगासा दायर किया जाना चाहिये वरना इस मियादके बाद कोई इस्तगासा नहीं लिया जावेगा। यह भी बात ध्यानमें रहना चाहिये कि बिला इस्तगासेके कोई भी कार्रवाई इस एकटके अनुसार किये हुए जुर्मक सम्बन्धमें नहीं की जावेगी अर्थात् किसी अदालतको बिला इस्तगासा आये हुए ऐसे जुर्मकी समात करनेका अख्तियार नहीं है । इस एक्टके नियमों की अवहलना नहीं की जासकती है जैसा कि अंग्रजी एक्टमें प्रयोग किये हुए(Shall ) शब्दका तात्पर्य है। दफा १० इस एक्टके अनुसार किये हुए जुर्मीकी प्रारम्भिक जांच
__ यदि वह अदालत जो इस एक्टके अनुसार किये हुए जुर्मकी समात कर रही हो इस्तगासेको सन् १८६८ ई० के संग्रह जाब्ता फौजदारीकी दफा २०३ के अनुसार खारिज न कर दवे तो वह या तो स्वयं जांच करेगी अथवा अपने मातहत किसी वर्जाअव्वलके मजिस्ट्रटसे उक संग्रह फौजदारीकी दफा २०२ के अनुसार जांच करायंगी।
व्याख्याइस दफाके अनुसार इस एक्ट के जुर्मों के समात करने वाली अदालत अर्थात् प्रेसीडेंसी मनिस्ट्रेट या डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेटको अधिकार प्राप्त है कि वह अपने मातहत अव्वल दर्जेके मजिस्ट्रेटसे इस एक्टके.जुमाको प्रारम्भिक जांच करा सके । अर्थत् इस दफाके अनुसार अब्बल दर्जे के मजिस्ट्रेट इस एक्टके जुमौकी प्रारम्भिक जांच कर सकते हैं जो उनको उन जुर्मोके समातका अधिकार दफा के अनुसार प्राप्त नहीं है । प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट या डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट प्रारम्भिक जांच अपने मातहत मजिस्ट्रेट से करानेके लिये बाध्य नहीं है वह स्वयं भी जांच कर सकते हैं तथा मातहत मजिस्ट्रेटसे भी जांच करा सकते हैं। यह भी बात ध्यानमें रहना चाहिये कि केवळ अव्वल दर्जेके मातहत मजिस्ट्रेटों द्वारा ही जांच कराई जा सकती है अर्थात् सेकेंड या थर्ड कासके मजिस्ट्रेटोंके सुपुर्द इस प्रकारकी जांचका काम नहीं दिया जा सकता है। यह जांच अभियुक्तके लिये सम्मन या इत्तलानामा जारी किये जानेसे पहिलेकी जांच होगी जो जावता फौजदारीकी दफा २०२ के अनुसारकी जाती है ।
__ संग्रह जाबता फौजादारी की दफा २०२ इस प्रकार है:
"३०२-(१) कोई भी मजिस्ट्रेट जिसके यहां इस्तगासा किसी ऐसे जुर्मका दायर किया गया हो जिसे सुननेका उस अधिकार है अथवा यदि कोई ऐसा इस्तगासा उसके यहां दफा १९२ के अनुसार मुन्तकिल कर दिया गया हो, उचित प्रतीत होने पर तहरीरी वजूहात दिखलानेके बाद मुजिमके खिलाफ उसकी हाजिरीके लिये सम्मन जारी करनेकी कार्रवाईको मुलतवी कर सकता है और वह स्वयं उस मामले की तहकीकात कर सकता है अथवा यदि वह तीसर दर्जेका मजिस्ट्रेट नहीं है तो वह अपने किसी मातहित मजिस्ट्रेटसे उसकी तहकीकात करा सकता है या किसी पुलीस अफसर अथवा किसी अन्य व्यक्तिसे जो उसे उचित प्रतीत हो जांच करा सकता है जिसमें कि इस्तगासेकी सच्चाई व झुठाई मालूम हो सके परन्तु शर्त यह भी है कि इस प्रकारका आदेश उस समय तक न किया जावेगा:
(ए) जब तक कि मुस्तगीसका बयान दफा २०० के नियमोंके अनुसार न लिया गया हो, या ( मी) जब कि इस्तगासा किसी अदालत द्वारा इस एक्ट के नियमोंके अनुसार पेश किया गया हो।