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बाल विवाह निषेधक एक्ट
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ऐसा मानो कि कन्या की उमर १६ वर्ष और वर की १७ वर्ष, या कन्याकी उमर १३ वर्ष है और वरकी १९ वर्ष, अर्थात् दोनोंमेंसे एक नाबालिग हैं तो इस किस्म के सब विवाह 'बाल विवाह ' माने जावेंगे और इस क़ानून से कन्या और वरके संरक्षकों को सक्षा दी जासकेगी ।
दफा ७ दफा ३ के जुर्मो में क़ैदकी संज्ञा न दी जावेगी
इस एक्टकी दफ़ा ३ के अनुसार किसी अपराधीको दण्ड देते हुए अदालत को यह हुक्म देनेका अधिकार न होगा कि, जुर्माना न अदा किये जाने पर उसे किसी नियस समयके लिये क़ैद की सज़ा भोगनी पड़ेगी, बावजूद इसके कि सन् १८६७६० के जनरल क्लाज़ेज़ एक्टकी दफ़ा २५ तथा संग्रह ताज़ीरात हिन्द ( Indian Penel Code ) की दफा ६४ में इसके विपरीत लिखा हो ।
व्याख्या-
दफ़ा ३ में केवल जुर्मानेका ही दण्ड दिया जाना बतलाया गया है, परन्तु जुर्माना न अदा करने पर कैदको सजा भी देनेका अधिकार अदालतों को कानूनन प्राप्त था जैसा कि संग्रह ताजीरात हिन्दकी दफ़ा ६४ व जनरल क्लॉज एक्टकी दफा २५ से प्रकट हैं । चूंकि इस एक्टकी साफ़ तौरसे यह मंशा है कि दफा ३ के अनुसार जुर्म किये जाने पर कंदकी सजा न दी जावे इस कारण इस दफार्मे यह साफ कर दिया गया है कि जुर्माने के न
अदा होने पर भी उसके एवज़म कैदको सजा न दी जावेगी अर्थात् अदालतें अपने फैसले में इस प्रकारका हुक्म न देवेंगी कि जुर्माना न अदा किये जाने पर अपराधीको किसी नियत समय के लिये क़ैद की सजा भोगनी पड़ेगी। अंग्रेज़ी एक्ट में प्रयोग किये हुए ( Shall ) शब्द से प्रकट है कि इस दफा के नियमकी अवहेलना नहीं की जावेगी । पाठका के जानने के लिये हम दोनों दफायें नीच लिखते हैं:
संग्रह ताज़ीरात हिन्दकी दफा ६४ इस प्रकार है :
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“ यदि किसी ऐसे मामलेमें जिसमें कि कैद व जुर्माना दोनों प्रकारकी सजाये दी जासकती हों अदालत ने केवल जुर्माने की अभवा जुर्माने व क़ैद की सजा दी हो, तथा यदि किसी ऐसे मामलेमें जिसमें कि क्रेंद या जुर्माने की सजा दी जा सकती हो या अकेले जुर्माने ही की सजा दी जा सकती हो अदालतने जुर्माने की सजा दी हो, अदालतको अधिकार है कि वह इस बातका भी हुक्म दे देवे कि जुर्माना न अदा किये जाने पर उसके एवज़में किसी नियत समय के लिये कैद की सजा भोगना पड़ेगी और इस प्रकार दी हुई दकी सता उसी जुर्म के लिये दी हुई कुंदकी सजा और सजा के अलावा होगी " । है :
सन् १८६७ ई० के जनरल क्लाज़ज़ एंक्टकी दफा २५ इस प्रकार
" जब तक कि कोई बात किसी एक्ट, रेगूलेशन, रूल या बाईला में इसके विपरीत न दी हुई होवे तब तक संग्रह ताज़ीरात हिन्दकी दफायें ६३ से लेकर ७० तक तथा सग्रह जानता फौजदारीके वह सब नियम जां जुर्माना वसूल करने के लिये वारण्ट जारी किये जाने तथा उनकी तामील के सम्बन्ध में दिये हुए हैं उन सब एक्ट, रेगूलेशन, रूल या बाई - लाके लिये लागू होंगे " ।
इस दफाको दफा ३ के साथ पढ़ने से यह तात्पर्य निकलता है कि यदि १८ बरससे अधिक उमरका परन्तु २१ बरस से कम उम्र का कोई पुरुष बाल विवाह करे तो उसे केवल १०००) रुपये तक के जुर्मानेका दण्ड दिया जा सकेगा और जुर्माना न वसूल होने पर भी उसके एवजंग कदकी सजा नहीं दी जासकेगी। इस दकासे
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