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दफा ७६८]
स्त्रीधन की बरासत
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17 Bom. 759; 8 Bom. H. C. 0.C. 244, 260; उनके बाद लड़कियों और उनकी संतानको मिलेगा।
बम्बई प्रांतके अन्तर्गत गुजरात, उत्तरीय कोकन और बम्बई द्वीप में जहां मयूख का प्राधान्य है उत्तराधिकार में मिली हुई जिस किसी जायदाद पर स्त्री का पूर्ण, अधिकार हो उसकी वरासत का क्रम भी ऊपर लिखे अनुसार होगा, देखो-8 Bom. H. C. O. C. 244-260; 11 Bom. 285; गांधी मगनलाल बनाम मोतीचन्द 24 Bom. 192. 31 Bom. 45379 Bom. L. R. 834.
बम्बई प्रान्तके उन भागोंमें जहां मिताक्षराप्रधान है जैसे महाराष्ट्र देश दक्षिणीय कोकन और उत्तरीय कनारामें उत्तराधिकारसे मिले हुये जिस धन पर स्त्रीका पूरा अधिकार होता है वह धन उसके पुत्रोंको नहीं, बक्लि लड़कियों को मिलता हैं. देखो-जानकीबाई बनाम सुन्दर 14Bom.612; 81 Bom; 453; यानी इस प्रकार
(१)कारी लड़की (२) व्याही लड़की जो गरीब हो या संतानरहित हो (३) व्याही लड़की जो आसूदा हो या संतान वाली हो (४) बेटीकी बेटी और बेटीका बेटा (५) पुत्र (६) पौत्र (७) ऊपरके वारिस न होने पर 'भर्तृदत्त' धनकी तरह पावेंगे।
निःसन्तान स्त्रीके स्त्रीधनकी वरासत (६) निःसन्तान स्त्रीके स्त्रीधनकी वरासत--जिस रीतिसे स्त्रीका विवाह हुआ हो उसीपर उसके स्त्रीधनकी वरासत निर्भर है।
(क) ब्राह्म विवाह यदि ब्राह्म रीतिसे विवाह हुआ हो और स्त्रीके कोई सन्तान न हो तो उसके स्त्रीधनका पति वारिस होता है, देखो--जगन्नाथ रघुनाथ बनाम नारायण 34 Bom. b53; 12 Bom. L. R. 545. और यदि पति न हो तो पतिके सपिण्ड उत्तराधिकारके क्रमानुसार वारिस होंगे, देखो--केसरबाई बनाम हंसराज मुरारजी 33 I. A. 176. 197330 Bom. 431; 10 C. W. N.802;8 Bom L. R. 446; बच्चूझा बनाम जगमनझा 12Cal.348;12Bom. 505. यह राय मानी दत्त रेवादत्त बनाम रेवाबाई 17 Bom. 758 to 765 के अनुसार है जिसमें कहा गया कि अपने सन्तानके वारिल होने की बात छोड़ कर मयूखलॉके अनुसार भिन्न भिन्न प्रकारके स्त्रीधन की वरालतमें कुछ भेद नहीं है । स्त्रीको वरासतमें मिली हुई जायदादके विषयमें पहिलेके मुक
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