________________
दफा ८८७-८१०]
धर्मादेकी संस्थाके नियम
१०६५
नये ट्रस्टी-कमेटी नया ट्रस्टी मुक़र्रर कर सकती है मगर सिर्फ उस सूरतमें जबकि कोई पुश्तैनी ट्रस्टी न हो, लेकिन कमेटीके अन्य अधिकारों की तरह यह अधिकार भी कमेटीको उचित रीतिसे और नेकनीयतीके साथ काममें लाना होगा। अदालत दीवानी इसकी देखरेख कर सकती है, देखोदाउद सेवा बनाम हुसेन साहेब 17 Mad. 212.
टूस्टियोंकी बरखास्तगी-सिर्फ उचितकारण होनेपर ही कमेटी या उसके अधिकांश मेम्बर, मन्दिरके दूस्टियों, सुपरिन्टेन्डेन्टोंको बरखास्त करने का या मुअत्तिल करने का अधिकार रखते हैं। ऐसी बरखास्तगी कमेटीमें विचारपूर्ण जांच होने के पश्चात्ही होगी; देखो-4 Mad. H. C. 443; 3 Mad. H. C. 334; 21 Mad. 179. कमेटीकी कार्य प्रणाली उन्हीं नियमानुसार होगी जैसाकि और बाकायदा सभाओंकी होती है।
दावा दायर करना-अपने अधिकागेका पालन कराने के लिये,कमेटी बिना किसी प्रकारकी मंजूरी लिये जब ज़रूरत पड़े दावा दायर कर सकती है, लेकिन जायदाद सम्बन्धी दावे ट्रस्टी या मेनेजर दायर करेंगे-17 Mad. 143
जायदादका कब्ज़ा-धर्मादेकी जायदादपर क़ब्ज़ा रखनेका हक कमेटी को नहीं है ( 12 Mad. 336 ). जिस धर्मादेके ट्रस्टियोंको सरकार मुकर्रर नहीं करती उस धर्मादेके ट्रस्टी कमेटीकी आमाके अधीन नहीं होते, देखो5 Mad. H. C. 48. दफा ८८९ आमदनी और ख़र्चका हिसाव
उपरोक्त एक्ट नं० २० सन् १८६३ ई० की दफा १३ इस प्रकार है-हर एक मसजिद, मन्दिर, या धार्मिक संस्था जिससे यह कानून लागू हो उसके हर एक ट्रस्टी या मेनेजर और सुपरिन्टेन्डेन्टका यह कर्तव्य होगा कि उस मसजिद, मन्दिर या दूसरी धार्मिक संस्थाके धर्मादेकी आमदनी और खर्चका हिसाब किताव बाकायदा रखे और हर एक प्रबन्धकारिणी कमेटी जो इस कानूनके अनुसार स्थापित कीगई हो या इस कानून द्वारा अधिकार दिये जाने से प्रबन्धका काम कर रही हो, उसका कर्तव्य होगा कि प्रत्येक मसजिद,मंदिर या दूसरी धार्मिक संस्थाके हर एक दूस्टी मेनेजर और सुपरिन्टेन्डेन्टको हुक्म दे कि वह उस आमदनी और खर्चका हिसाब किताब कमसे कम सालमें एक दफे बाकायदा पेश करे और ऐसी हर एक प्रवन्धकारिणी वैसा हिसाब किताब स्वयं भी रखेगी। कमेटीके सामने हिसाब न पेश करनेकी सूरतमें दृस्टी हटाया जा सकता है, देखो-22 Mad. 481. दफा ८९. प्रत्येक आदमी कब दावा कर सकता है
उपरोक्त एक्ट नं० २० सन् १८६३ ई० की दफा १४ इस प्रकार हैकोई भी आदमी या आदमियोंका समूह, जो किसी मसजिद, मन्दिर या धार्मिक
134