Book Title: Hindu Law
Author(s): Chandrashekhar Shukla
Publisher: Chandrashekhar Shukla

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Page 1167
________________ बाल विवाह निषेधक एक्ट दफा ४ बच्चे विवाह करने वाले उस पुरुषके लिये दण्ड जो २१ वर्षसे अधिक उमूका हो ( ६ ) २१ सालसे अधिक उम्रका जो पुरुष बाल विवाह करेगा उसको एक मास सकका साधारण कारावासका दण्ड दिया जा सकेगा या उसपर एक हज़ार रुपये तकका जुर्माना हो सकेगा अथवा कारावास व जुर्माना दोनों दंड एक साथ दिये जा सकेंगे । व्याख्या बाल विवाह करने वाले उन पुरुषों के लिये जिनकी उम्र २१ सालसे अधिक हो कारावास व जुर्माना दोनों प्रकारके दण्ड दिये जासकेंगे कारावासका दण्ड एक मास तक के लिये दिया जासकता है तथा यह साधारण कारावासका दण्ड होगा अर्थात् इस दफ़ा के अनुसार कठोर कारावासका दण्ड नहीं दिया जावेगा और न एक माह से अधिक साधारण कारावास ही का दण्ड दिया जासकेगा । पिछली दफा की भांति इस दफाके अनुसार भी जुरमाना १००० ) एक हजार रुपये तकका किया जासकता है इस दफ़ा के अनुसार कारावासका दण्ड तथा जुर्माना एक साथ भी किये जासकते हैं अथवा यदि अदालत उचित समझे तो केवल कारावास ही का दण्ड देवे अथवा केवल जुर्माना करके ही छोड़ देवे या बिना सजाके छोड़ देवे क्योंकि अंग्रेजी कानून में शब्द ' पनिशेबुल' (Punishable) है । इस शब्दसे सजा देना अदालतकी इच्छा पर निर्भर होगया है । दफा ५ बाल विवाह करनेके लिये दण्ड जो व्यक्ति बाल विवाह करेगा या करावेगा या करनेकी श्राज्ञा देगा उसको एक मास तककी सादी कैद या एक हजार रुपये तक जुर्माने की सज़ा दी जा सकेगी या tata सजायें एक साथ दी जा सकेंगी जब तक कि वह व्यक्ति यह साबित न कर देवे कि उसके पास इस बात के विश्वास करनेका कारण था कि जिस विवाह में वह भाग ले रहा है वह बाल विवाह नहीं है । व्याख्या पिछली दो दफाओं में विवाह सम्बन्ध करने वाले पुरुषको दण्ड दिये जानेका विधान है परन्तु इस दफा के अनुसार उस व्यक्तिको सजा दी जासकेगी जो विवाह के कृत्यको करे या जो विवाह करवाये अथवा उसके किये जानेका आदेश देवे । व्यवस्थापिका सभा के सदस्योंने यह विचार किया कि यह कुपृथा जितनी जल्द भारतसे लोप होजाय उतना ही अच्छा होगा इस सबब से सजा पाने वाले व्यक्तियोंका दायरा ज्यादा बढ़ा दिया गया ताकि वे सब लोग अवश्य यह कोशिश करें कि बाल विवाह न होने पावे । जब तक लोगोंको कोई डर अपने लिये न होगा तब तक वे इस कुप्रथाके रोकने में उपेक्षा करेंगे । यद्यपि इस दफा के अन्दर बाल विवाह करने वाले, कराने वाले और करनेकी आज्ञा देने वाले व्यक्ति ही आते हैं विवाह में बराती लोग जाहिरा छूट जाते हैं, बरातियों में रिश्तेदार, इष्ट मित्र और उनके सम्बन्धके लोग होते हैं । प्रायः नेवता या बुलावा आने पर वे लोग विवाहमें शामिल होते हैं उनको यह पता नहीं रहता कि वर और कन्याकी उमर कितनी है, उनके पास प्रायः उमरके जांच करनेका साधन भी नहीं होता, इस दफा के शब्दों के भाव से उनपर कोई असर पड़ते तो साफतौर से नहीं

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