Book Title: Hindu Law
Author(s): Chandrashekhar Shukla
Publisher: Chandrashekhar Shukla

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Page 1144
________________ दफा ८८३-८८६] धर्मादेकी संस्थाके नियम दूसरे धर्मादेमें स्वार्थ रखने वाले लोगोंमें से एक नया मेम्बर चुनकर उस खाली स्थानकी पूर्तिकी जायगी, कमेटीके बाकी मेम्बर खाली जगह होनेकी सूचना जहांतक शीघ्र होसके सार्वजनिक तौरसे देंगे और मसजिद, मन्दिर या दूसरे धर्मादे में स्वार्थ रखने वाले लोगों में से एक नया मेम्बर चुनने के लिये एक ऐसा दिन मुकर्रर करेंगे जिसकी मियाद स्थान खाली होनेसे तीन महीनेके अन्दर हो । नये मेम्बरका चुनाव प्रान्तीय सरकारके बनाये हुए नियम के अनुसार होगा और उन नियमोंके अनुसार जो आदमी चुना जाय वही उस कमेटीकी खाली जगह भरने वाला मेम्बर होगा। अगर जगह खाली होनेसे तीन महीनेके अन्दर चुनावके द्वारा जगह न भरी जाय तो दीवानी अदालत किसी भी प्रादमीकी दरख्वास्त पर एक आदमीको उस जगहके भरने के लिये नियुक्त करेगी या आज्ञा देगी कि कमेटीके बाकी मेम्बर उस खाली जगहको शीघ्र भर लें, कमेटीके बाकी मेम्बरोंका कर्तव्य होगा कि इस माशाका वे पालन करें अगर न करें तो दीवानी अदालत स्वयं किसी मेम्बर को उस खाली जगहमें नियत कर देगी। जब मेम्बरों की संख्या ३ से कम हो जाय तो वे कमेटीका काम नहीं कर सकते; देखो-साथलवा बनाम मंजनाशेटी 34Mad. 1; और जय कमेटी के सभी मेम्बरोंकी जगहें खाली हो जाय तो अदालत एकनई कमेटी स्थापित करेगी, देखो-4 C. W. N. 527; इस कानूनकी दफा १० के अनुसार जो अधिकार अदालतको दिये गये हैं उनकी अपील नहीं हो सकती देखो-14 I. A 160; 11 Mad. 26. ट्रस्टीकी जगह खाली होना और समयपर नियुक्त न किया जाना तथा नोटिस देना-पेरूरके मन्दिरके ट्रस्टियोंकी एक जगह खाली हुई। दूस्टनामे की दफा ४ में लिखा थाकि “अगर ट्रस्टीकी जगह खाली होनेके बाद दो महीने के भीतर उसकी पूर्ति न हो जायगी तो अदालतको अधिकार होगा कि वह दो अथवा अधिक पुजारियों की प्रार्थनापर ट्रस्टी नियुक्त करदे अगर कमेटी को नोटिस दिये जाने के पश्चात् नोटिसकी तामीलकी तारीखसे एक महीनेके भीतर स्थानकी पूर्ति न करदी जायगी" भाषा ट्रस्टनामेकी बड़े गोलमालकी है साफ़ नहीं है कि कौन नोटिस देगा ? कौन तामील करायेगा ? कमेटीने दो महीने तक खाली जगहकी पूर्ति नहीं की और पुजारियोंने अदालतमें दरख्वास्त दी कि जगहकी पूर्तिकी जाय दरख्वास्त देने के समय जगह खाली थी मगर पीछे ट्रस्ट कमेटीने एक शरूसको चुना उसकी मंजूरीके लिये पत्र लिखा, जिसे चुना था उसने जवाबमें यह लिखाकि "अगर सब लोग मुझे चुनते हैं तो मुझं इनकार नहीं है" इसका मतलब साफ़ मंजूरी नहीं माना गया क्योंकि जवाबमें उसने 'सब लोगों' का जो वाक्य लिखा था ठीक न था बहुमतसे वे चुने गये थे। अदालतने ट्रस्टी नियत कर दिया था । तय हुआकि दूस्टके

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