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( ६ ) बाल विवाह निषेधक एक्ट नं० १९सन् १९२९ ई० की
दफा वार सविवरण सूची
दफा १ नाम विस्तार और आरम्भ
-यह एक्ट क्यों सन् १९२८ ई० कहलाया ? और क्यों इसका नम्बर १९ पड़ा ? -ब्रिटिश भारतकी सीमा और कानूनका विस्तार -तारीख १ अप्रैल १९३० ई. किस समयसे शुरू मानी जायगी --हिन्दुओंमें विवाहकी रसम कब पूरी मानी जाती है,
-मुसलमानोंमें विवाहकी रसूम कब पूरी मानी जाती है दफा २ परिभाषाएं
-बच्चा, बाल विवाह, विवाह सम्बन्ध करने वाले व्यक्ति, और नावालिग शब्दोंका अर्थ -बाल विवाह कितनी उमर तक माना जायगा
-नावालिगा १८ सालकी उमर खतम होने तक मानी जायगी दफा ३ बञ्चसे विवाह करनेवाले उस पुरुषके लिये दण्ड जो२१ सालसे कम उमरका हो
-किस उमर तक जेलखानेकी सजा न दी जावेगी? -अदालतके अधिकार सजा देने व छोड़ देनेके वारेमें -उमर साबित करनेके लिये कैसी शहादत दी जासकती है -मदरसेके रजिस्टर और पुलिसके पैदाइशके रजिस्टरसे उमरमें जब फरक पड़े तो कौन माना जायगा १५
-जुरमाना न देने पर उसके बदले जेलखाना नहीं होगा दफा ४ बजेसे विवाह करनेवाले उस पुरुषके लिये दण्डजो२१ वर्षसे अधिक उमरका हो ।
-एक हजार रुपया जुरमाना व १ मासकी केद होगी मगर कैद सादी होगी
-अदालतके अधिकार जुरमाना, सजा या दोनोंके बारेमें वफा ५ बाल विवाह करनेके लिये दण्ड
-विवाह कृत्य करने वाले, या कराने वाले, या आज्ञा देने वालेको सजाका विधान -क्यों इतने लोंगोंको अपराधी माना गया? -बराती, पुरोहित, रिश्तेदार आदि पर कब, किस हालतमें अपराध लगाया जासकेगा ? -अपगधीको क्या सावित करना चाहिये तथा कैसे ?
-इस दफाके अपराधमें स्त्री और पुरुष दोनोंको जेलकी सजा हो सकती है दफा ६ बाल विवाहसे सम्बन्ध रखने वाले माता पिता संरक्षकको दण्ड
-किन लोगोंसे यह दफा लागू होती है ? और किस तरह पर होती है ? -संरक्षक या माता-पिता, के लापरवाही करने में वे कहां तक अपराधी होंगे -नावालिग़ और बाल विवाहका फरक तथा उदाहरण -स्त्रियोंको जेल की सजासे वरी होना और पुरुषोंको दोनो सजायें होना