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कानून का बड़ा ग्रन्थ
हिन्दू-लॉ
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दूसरी बार छपा हुआा पहलेसे चौगुना बड़ा
हिन्दीमें क़ानूनका सबसे बड़ा ग्रन्थ
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आज तक कानूनका ऐसा सर्वाङ्ग पूर्ण ग्रन्थ हिन्दी में नहीं छपा। पढ़तेही चित्त खुश होगा और बिना प्रशंसा किये आप न रहेंगे । पहिले से चौगुना बड़ा, चौगुनी नजीरें व सत्र नये कानून, तथा चौगुना फायदेमंद है, तिस पर भी मूल्य नहीं बढ़ाया गया। अदालत में होने वाले न्याय को घरहीमें समझ लेने के लिये यह वृहद्ग्रन्थ छापा गया है । ९० संस्कृत ग्रन्थों, १०२
कानून प्रेस कानपुर
दूसरे कानूनों, हजारों नजीरों, उदाहरणों व सैकड़ों नकुशोंसे परिपूर्ण है। यानी शामिलशरीक या बटे हुए परिवार में मर्दों, स्त्रियों, लड़कों, गर्भमें बच्चोंका, जायदादमें कितना हक़ है; किसके मरने पर कौन वारिस कम होगा; विवाह कैसे वर-कन्या के साथ किस उमरमें, कब जायज है; कैसे विवाह के - लड़के वारिस होंगे; पति, पत्नीको कैसे, कब, किस तरह अपने पास रख सकते हैं; नाबालिग का वली कौन होगा, वलीके हक़, पावन्दियां, व जिम्मेदारियां, कौन हैं; कैसे वली निकाला जायगा, उस पर डिकरी होगी; गोदका पूरा क़ानून क्या है; ३२७ वारिसों को किसके बाद किसे व किस ढंगसे कब हक़ मिलता है; अंधे, व अङ्ग भङ्ग वारिसों का नया कानून क्या है; रंडियों व वश्याओं की जायदादका कानून क्या है, उनके वारिस कौन, कत्र व किस तरह होते हैं; ठिलाई औरतों का हक़ क्या है; कौन घन स्त्री धन है, उसके वारिस कौन, कब, किस तरह होते हैं; स्त्रियों के हड़का पूरा कानून क्या है; फर्ज़ी रेहन, वय वाली जायदाद के झगड़ोंका कानून क्या है; दान व वसीयत कैसे कब किस जायदाद की होगी कैसे हक़ देकर लिखी जायगी कैसे नाजायज़ होगी; मंदिर, पाठशाला, धर्मशाला आदि में जायदाद कैसे लगाई जाय, ट्रस्ट कैसे मुकर्रर हो, जरासी गलतीसे कैसे मंसूख होगा; साधु सन्यासी महन्त, गद्दीधरोंके हक़ क्या हैं, चेला, पुजारी, शिवायत के हक, अधिकार कन्व, किस तरह, किस जायदादमें कैसे होते हैं; देवस्थानका पूरा कानून क्या है; भावी वारिसोंके हक कब कैसे होंगे; इत्यादि हजारों शताका आपको पूर्ण ज्ञान होगा । सन् १९२९ ई० तक के सब नये कानून हजारों नजीरों व व्याख्या सहित दिये गये हैं । आप कानून के पण्डित हो सकेंगे। मूल्य १२ ) डा० १ | | )
मिलने का पता :- कानून प्रेस, कानपुर.