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दफा ७ दफा ३ के जुर्मामें कैदकी सज़ा न दी जायगी
-ताजीरात हिन्दकी दफा ६४ व जरनल क्लाजेज एक्टकी दफा २५ का वर्णन जो इस कानूनमें
लागू नहीं होंगी जहां तक सजाका सम्बन्ध है दफा ८इस एक्टके अनुसार अख्त्यार समाश्रत
-कौन कौन अदालतें यह मुकद्दमें सुनेंगी और कौन नहीं सुनेगी ?
--जाबता फौजदारीकी दफा १९० का वर्णन और उसका लागू न होना दफा ६ जु के समाप्रसका तरीका
-एक सालके अन्दर दावा हो सकता है पीछे नहीं
-पुलिसकी दस्तन्दाजी नहीं हो सक्ती और न अदालत बिना मुकद्दमाके कोई तहकीकात करा सकती है ११ दफा १० इस एक्टके अनुसार किये हुए जुर्मोकी प्रारम्भिक जांच
-अव्वल दर्जे के मजिस्ट्रेटसे कम जांच न कराई जा सकेगी - अदालत स्वयं जांच कर सकती है मगर पुलिससे नहीं करा सकती
-जावता फौजदारीकी दफा २०२ और २०३ का वर्णन और इस कानूनका सम्बन्ध दफा ११ मुस्तगीससे ज़मानत लेनेका अधिकार
-दावा करने वालेसे १००) की जमानत व मुचलके पहिले लिये जासकेंगे -जमानत न देने पर दावाका खारिज होना और झूठा दावा साबित होने पर अपराधीको.
मावजा दिलाया जाना -जा० फौ० की दफा २५०, ५१३, ५१४, ५१५, ५१६ का वर्णन और सम्बन्ध १४-१५ -जुरमाना कैसे वसूल किया जायगा
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नीचे लिखे कानूनोंका हवाला इस कानूनमें दिया गया है :
(१) ज़ाबता फौजदारी एक्ट नं०५
सन् १८६८ ई० -दफा १९. -दफा २.२ -दफा २०३ -दफा २५० -दफा ३८६ से ३८९ -दफा ५१३ ... " -दफा ५१४
१४-१५ दफा ५१५ -दफा ५१६
(२) ताजीरात हिन्द एक्ट नं०४५
सन् १८६०६० की दफा ६४ १ (३) जनरल क्लाजेज़ एक्टनं०१० ।
सन् १८६७० -दफा ३(७) -फा २५
-पार्ट ३ (४) इण्डियन मेजारिटी एक्ट नं०६
सन् १८७५ ई. ... ४ गार्जियन एण्ड वार्डसू एक्ट नं०६ सन् १८६७ ई०... .
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