Book Title: Hindu Law
Author(s): Chandrashekhar Shukla
Publisher: Chandrashekhar Shukla

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Page 1147
________________ धार्मिक और खैराती धर्मादे [ सत्रहवां प्रकरण संस्थामें या उसकी पूजा पाठके किये जाने में या उसके ट्रस्टमें स्वार्थ रखता हो, बिना उन दूसरे लोगोंसे मिले हुये जो वैसाही स्वार्थ रखते हों अदालत दीवानीमें मसजिद, मन्दिर या धार्मिक संस्थाके ट्रस्टियों, मेनेजर या सुपरिन्टेन्डेन्ट पर या इस क़ानूनके अनुसार स्थापितकी हुई कमेटीके मेम्बर पर, ट्रस्ट का भंग या कर्तव्यकी ग्रफलत जो ट्रस्टी मेनेजर सुपरिन्टेन्डेन्ट या मेम्बर कमेटीने उस ट्रस्टके सम्बन्धमें जो उन्हें सिपुर्द किया गया हो की हो, उसके लिये अलग केवल अपने अधिकारसे दावा दायर कर सकता है । अदालत दीवानी वैसे ट्रस्टी मेनेजर या सुपरिन्टेन्डेन्ट या मेम्बर कमेटीको नामाङ्कित काम पूरा करने ( Spesific performance ) की आज्ञा देगी और ट्रस्टी मेनेजर सुपरिन्टेन्डेन्ट या मेम्बर कमेटीपर हरजाने और खर्चा मुक़द्दमाकी डिकरी दे सकती है, और उस ट्रस्टी मेनेजर सुपरिन्टेन्डेन्ट या मेम्बर कमेटी के हटाये जानेका हुक्म दे सकती है । नोट- यदि कमेटी, किसी वैष्णव मंदिरके ट्रस्टी पदपर किसी शैवको नियुक्त करे तो यह कारण ट्रस्ट भंगका नहीं माना जायगा, देखो --7 Mad. 222 और इस दफा के अनुसार दावा करने वाला मुफलिसी में भी दावा दायर कर सकता है, देखो 24 Mad. 419. १०६६ महज़ समझकी गलतीसे जो काम किया गयाछो उसके कारण देवस्थान कमेटीका मेम्बर हटाया नहीं जा सकता ऐसे पदाधिकारीके हटानेके कारण में यह दिखाना होगा कि क्या उस पदपर उसका बना रहना मन्दिरके स्वार्थ के विरुद्ध होगा ( 22 Mad. 361 ). ऊपरकी दफा १४ में जिन दावोंका ज़िकर किया गया है उनके सिवाय और किसी तरहके दावोंसे उक्त एक्ट लागू नहीं होता, देखो -- नीचे किखे हुये उदाहरण ( दावे जिनसे एक्ट नं० २० सन् १८६३ ई० लागू नहीं होता ) ( क ) मन्दिर के प्रबन्धके हमें बटवारेका दावा (3M. H. C. 198). ( ख ) मन्दिर के धर्मकर्ता और उस मन्दिरके पूजकका दावा जो वह देवस्थानके मृत मेनेजरके वारिसपर इसलिये करेकि देवस्थान के धनमें उस मेनेजरके ट्रस्ट भंग करने और स्वयं रुपया खा जानेके कारण जो कमी हुई उसे पूरा करे (4 Mad.H. C. 2). (ग) किसीका यह दावाकि अमुक महन्त हटाया जाय और उसकी जगहपर मैं नियुक्त किया जाऊं ( 22 W. R. C.R. 364 ). (घ) मन्दिर के किसी पदाधिकारीका दावा जो कहता हो कि मैं अनुचित रीति से नौकरी परसे छुटाया गया हूं (4Mad H.C.112). (च) ट्रस्टकी जायदाद जिसको इन्तक़ाल कीगयी हो चाहे वह इन्त नाल ट्रस्ट भंग करके किया गया हो उसे पुनः प्राप्त करनेका दावा, देखो -- (4 Mad. 157; 6 Mad. 54, 22Mad 223). (छ) ट्रस्टके द्वारा जो नामाङ्कित जायदाद किसीको दीगई हो उसकी प्राप्तिका दावा ( 4 N. W. P. 155 ).

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