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धार्मिक और खैराती धर्मादे
[सत्रहवां प्रकरण -
दफा ८९३ सामाजिक या धार्मिक उद्देशोंके धर्मादे
__ उपरोक्त एक्ट नं० २० सन् १८६३ ई० की दफा २१ इस प्रकार हैकिसी मामले में कि जिसमें कोई ज़मीन या दूसरी जायदाद किसी ऐसी संस्था के चलाने के लिये दी गई हो कि जिसका कुछ भाग धार्मिक और कुछ भाग समाजिक उद्देशका हो या उस संस्था सम्बन्धी कोई धर्मादा जिसका कुछ भाग धार्मिक और कुछ भाग सामाजिक उद्देशके लिये खर्च किया जाता हो एसे मामलों में रेविन्यूबोर्ड उस जायदादके दूस्टी, मेनेजर, सुपरिन्टेन्डेन्ट या इस कानूनके अनुसार मुकर्ररकी हुई प्रबन्ध कारिणी कमेटीको उस दृस्टकी जायदादका इन्तकाल करते समय यह निश्चय करेगी कि सामाजिक उद्देशके खर्चके लिये कितनी ज़मीन या दूसरी जायदाद बोर्डकी देखरेखमें रहे और कितनी टूस्टी, मेनेजर, सुपरिन्टेन्डेन्ट या कमेटीके देखरेखमें रहे और यह भी निश्चय करेगी कि ट्रस्टी मेनेजर सुपरिन्टेन्डेन्ट या कमेटीके देखरखमें दी हुई ज़मीन या दूसरी जायदादसे सालाना कितनी रकम बोर्डको या लोकल एजेन्टको सामाजिक उद्देशके खर्च के लिये दी जाया करेगी। ऐसे प्रत्येक मामलेमें जो ज़मीन या दूसरी जायदाद मुन्तकिलकी गई हो उसीसे इस क़ानूनकी आज्ञा लागू होगी। दफा ८९४ सरकार अपने हाथ में नहीं रखेगी
उपरोक्त एक्ट नं० २० सन् १८६३ ई. की दफा २२ इस प्रकार हैइस कानूनमें जो आज्ञा दी गई है उसके सिवाय और किसी सूरत में भारत सरकार या उसके किसी अफसरके लिये यह लाज़िम न होगा कि मसजिद, मन्दिर या दूसरी धार्मिक संस्थाकी असली जायदाद या उसके चलाने के लिये दी हुई ज़मीन या दूसरी जायदादकी देखरेख करनेका ज़िम्माले, या मसजिद मन्दिर या दूसरी धार्मिक संस्थाके लिये दी हुई जायदाद अपने कब्जेमें ले या उसके प्रइन्धमें भाग ले या ट्रस्टी मेनेजर सुपरिन्टेन्डेन्ट नियत करे या किसी तरह भी उससे सम्बन्ध रखे।
राती जायदाद-खैराती धर्मादेकी जायदाद, खैराती धर्मादेके सरकारी खजानचीके सिपुर्दकी जासकती है लेकिन वह महज़ खजानचीकी हैसियतसे उसका प्रबन्ध नहीं करेगा देखो-एक्ट नं०७ सन् १८६०ई०।
नोट-ऐसी कोई संस्था यदि कहाँपर कायम हो जिसका स्पष्ठ नाम इस प्रकरणमें न बताया गया है। मगर वह संस्था इस किताबकी दफा ८१७ में कहे हुए मतलबों या किसी एक मतलबके लिये कायम हो अथवा उक्त दफाके किसी मतलब और अन्य किसी मतलबके लिये भी कायम हो तो जहांतक उमम दफा ८१७ के उद्देशों का सम्बन्ध है वहांतक उस संस्था के साथ इस प्रकरणमें कहे हुए नियम लागू होंगे।
॥ इति ॥