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दफा ८८०-८८२]
धर्मादेकी संस्थाके नियम :
सार्वजनिक धर्मादोंके विषयमें धार्मिक धर्मादोंके कानून रिलिजस् एन्डोमेन्ट एक्ट नं० २० सन १८६३ ई०
की आवश्यक प्राज्ञायें
नोट-एक्ट नं० २० सन् १८६३ ई. कहां लागू होता है किन धर्मादासे सम्बन्ध रक्ता है इत्यादि बातें इसके पूर्व लिख चुके हैं नीचे इस कानूनकी जरूरी जरूरी कुछ दफार्य पाठकोंके ज्ञानके लिए लिखते हैं । आगे जहांपर केवल 'दफा' शब्द मिले उससे एक्ट नं० २० सन् १८६३ ई. कानूनकी दफा समझमा । दफा ८८१ धार्मिक ट्रस्टकी जायदादका इन्तकाल ___ "प्रत्येक मसजिद, मन्दिर, या धार्मिक संस्था जो पूर्वाक्त रेगूलेशनों (नं०१६ सन् १९९० ई० और नं०७ सन् १८१७ ई) के अधीन हों और जिसका प्रबन्ध ऐसे ट्रस्टी मेनेजर या सुपरिन्टेन्डेन्टके हाथमें हो जिसकी नियुक्ति या नियुक्तिकी मंजूरीका अधिकार न सरकारके हाथमें हो और न किसी सार्वजनिक अफसरके हाथमें हो तो सरकार आशा देगी कि उस मसजिद, मन्दिर या धार्मिक संस्थाकी जायदाद जो रेविन्य बोर्डकी देखरेख में हो उसका इन्तकाल ट्रस्टी, मेनेजर या सुपरिन्टेन्डेन्टको कर दिया जाय" ।। .. ट्रस्टी पदका उत्तराधिकार-जिस ट्रस्टी या मेनेजर या सुपरिन्टेन्डेन्ट को जायदादका इन्तनाल किया गया हो, उसके पदके उत्तराधिकारके विषय में अगर विवाद उपस्थित हो तो उस मसजिद, मन्दिर या धार्मिक संस्थामें स्वार्थ रखने वाले या उसके टूस्टमें स्वार्थ रखने वाले या उसमें पूजा या सेवा करने वाले किसी भी आदमीकी दरख्वास्तपर अदालत दीवानी उस वक्त तक के लिये किसीको मेनेजर मुकर्रर कर देगी जब तककि कोई दूसरा आदमी दावा दायर करके उस पदपर अपने उत्तराधिकारका हक्र साबित न करदे देखो-4 Mad. 295; इस व्यवस्थाके अनुसार कलक्टर ट्रस्टी मुकर्रर कर सकता है। देखो-19 Mad. 285. इस व्यवस्थाके अनुसार जो कुछ हुक्म दिया गया हो उसकी अपील नहीं हो सकती किन्तु हाईकोर्ट उस हुक्मकी नज़रसानी ( Revise ) सुनेगी 26 Mad. 85. दफा ८८२ ट्रस्ट आदिका हक, अधिकार और जिम्मेदारी......
जिस ट्रस्टी या मेनेजर या सुपरिन्टेन्डेन्टको धर्मादेकी आयदादका इन्तकाल किया गया हो उसके हक अधिकार और ज़िम्मेदारियां और उसकी नियुक्ति, चुनाव और बरखास्तगीकी शर्ते ठीक वही हैं जो एण्डोमेण्ट एक्द