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दफा ७६७ ]
दानके नियम
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दिया गया उनमें से हर एक भाई दानकी जायदाद में अपने हिस्सेके अनुसार, खुद कमाई हुई जायदादकी तरह हक्क प्राप्त करता है और जब उन भाइयों में से एक मरेगा तो उसका हिस्सा उसके वारिसको मिलेगा, न कि दूसरे भाई को, क्योंकि सरवाइवरशिप ( देखो दफा ५५८ ) का हक़ लागू नहीं माना गया और देखो- -12 Bom. 122; 23 Cal. 670.
इलाहाबाद – इलाहाबाद हाईकोर्टने भी यही बात मानी कि - मुश्तरका खानदानके मेम्बरको दानकी जायदादमें खुद कमाई हुई जायदाद की तरह हक़ प्राप्त होता है । यानी सरवाइवरशिप नहीं होता 28 All 38. वाले मामलेमें दो भाइयोंको दान दिया गया, ऐसा मानो जय और विजयको दान दिया गया जय पहले मर गया । अब प्रश्न यह उठा कि दान किस ढङ्गका था यानी क़ाबिज़ शरीक ( Tenant in Common ) था अथवा क़ाबिज़ मुश्तरका (Joint Tenant ) माना गया कि क़ाबिज़ मुश्तरक ( Joint Tenant ) था, लेकिन 27 All. 310. बाले मुक़द्दमे में सरकारने मुश्तरका खानदानके तीन मेम्बरों को एक और आदमीकी शिरकतमें इनाम दिया, माना गया कि इनाम क़ाबिज़ शरीक ( Tenant in Common ) हैं | इलाहाबाद और बम्बई हाईकोर्ट बहुत करके ऐसे दानोंको क्राबिज़ शरीकही मानती हैं।
मदरास - 28 Mad. 383 का मामला देखो इसमें मदरास हाईकोर्टने क़ाबिज़ मुश्तरक (Joint Tenant ) माना है ।
कलकत्ता - बङ्गाल में कुछ झगड़ाही नहीं है वहां हर एक मेम्बर निश्चित इन रखता है इसलिये वहां क़ाबिज़ शरीक ( Tenant in Common ) माना जाता है ।
भाइयोंको दान- जब सीन हिन्दू भाइयोंको दान दिया गया हो तो वे उसे केवल जीवन कालके ही लिये नहीं ग्रहण करते -- मु० जीराबाई बनाम मु० रामदुलारी बाई 89 I. C 991.
दानकी जायदादपर दान पाने वालेका पूरा हक़ है--जबकि एक भाई ने दूसरे भाईको जायदाद दान कर दी थी दान लेने वालेने वह जायदाद बेच दी तब उसके लड़कोंने यह दावा किया कि बापने बिला क़ानूनी ज़रूरत के जायदाद बेच दी और उसके लड़कोंको कोई लाभ नहीं पहुँचा, माना गया कि जब बापको दानमें जायदाद मिली थी तो उसपर उसका पूराहक़ था लड़के दावा नहीं कर सकते, देखो -- 25 O. C. 80 हि० ला० ज० जि० १५० ३१.
मुश्तरका खानदानकी जायदाद-खानदानके एक मेम्बर द्वारा ऐसी दशामें दान की जा सकती है जब दूसरे मेम्बरोंकी रजामन्दी सीधे या प्रकारान्तर से प्राप्त कर ली गयी हो 72 I C, 470.