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धार्मिक और खैराती धर्मादे
[सत्रहवां प्रकरण
पाबन्द होगा, प्रसन्न कुमारी देवी बनाम गुलाबचन्द बाबू 2 I. A. 1453 14.B. L. R. 450; 23 W. R. C. R. 253. 11 B. L. R. 3323 12 C. W. N. -739.
(१५) जायदादकी कुर्की-दृस्टी या मेनेजर पर उसके पदकी हैसियतसे उचित रीतिसे डिकरी हुई हो उसमें धर्मादेकी जायदाद कुळकी जा सकती है और नीलामकी जासकती है 35. Cal. 6915 12 C.W.N. 550. लेकिन जो डिकरी मेनेजर या दूस्टीकी ज़ात पर हुई हो उसके लिये उस जायदाद की कुर्की या नीलाम नहीं हो सकता, देखो-15 I. A. 1; 15 Cal. 3297 6 C. W.N. 663.
इस तरहपर कुर्की और नीलाम होनेपर मेनेजर धर्मादेकी तरफसे मंसूखीका उजुर या दावा कर सकता है, देखो-35 Cal. 364; 12 C. W. N. 310. दफा ८५९ मुकद्दमेके फरीक
29 Mad. 106 में माना गया कि जो लोग किसी सार्वजनिक धर्मादेमें पूजा करते हों वे भी उस मुक़द्दमे में फरीक यानी पक्षकार बनाये जायंगे जो कोई दूस्टी किसी धर्मादेकी तरफसे किसी तीसरे फरीकपर दावा दायर करे। किन्तु वे पूजा करने वाले तभी फरीक बनाये जायंगे जबकि अदालत उनका फरीक बनाया जाना दूस्टके लाभके लिये उचित समझे । यह खास करके उस मामलेमें अवश्य होना चाहिये जिसमें कि दृस्टीको पहली अदालतकी डिकरीके अनुसार अपना हक त्याग देना पड़ा हो, देखो--35 I. A. 176; 31Mad. 236. दफा ८६० कानूनी कामकी पाबन्दी
धर्मादेका शिवायत, महन्त और मेनेजर अपने पहलेके पदाधिकारीके कानूनी किये हुये कामोंका अवश्य पाबन्द होगा लेकिन जो काम जाल या फरेबसे किये गये हों उनके पाबन्द वे नहीं होंगे, देखो-1 B. L. R. 3373 17 W. R. C. R. 44.
किसी मूर्तिसे सम्बन्ध रखने वाली जायदादके विषयमें नालिश करने का अधिकार केवल शिवायत को है, किसी अन्य व्यक्ति को नहीं है यदि शिवायत इस प्रकारकी नालिशको दायर करना न स्वीकार करे, तो पुजारी
और स्वयं मूर्ति को यह अधिकार नहीं है कि वे उस जायदादके सम्बन्धमें नालिश दायर करसके-श्री श्रीकाली माता देवी बनाम नागेन्द्रनाथ चक्रवर्ती A. I. R. 1927 Cal. 244.