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दान और मृत्युपत्र
[सोलहवा प्रकरण
वसीयत करने वाले को हस्ताक्षर करते अपनी आंखसे देखे या यह देखे कि उस काग़ज़पर किसी और गवाहका हस्ताक्षर है या नहीं मगर शर्त यह है कि जिस वक्त गवाह अपने हस्ताक्षर करे उस समय वसीयत करने वालेका हस्ताक्षर वसीयतपर हो चुका हो और वसीयत करने वाला गवाहोंको यह समझा दे कि जिस काग़ज़पर वे हस्ताक्षर कर रहे हैं वह उसका वसीयत माना है, देखो-1 Bom. 547; 27Cal.169. वलीयत करनेवाला जब हस्ता. क्षर करले तो उसके बाद गवाह अपनी गवाही करें पहले न करें; देखो- 6 Cal. 17; 6 C. L. R. 303; 5 Cal. 738; 5 C. L. R 565; 3Bol. 382:
अगर वसीयतनामा लिखे २५ वर्ष हो गये हों और वसीयतके आधार पर काम किया गया हो, साधारणतः घसीयत ठीक मालूम होती हो, तो वह सच्ची मानी जायगी चाहे उस वसीपतपर उस स्थानके निवासी गवाही न हो जहांका निवासी वह वसीयत करने वाला है और चाहे उस वसीयतके आधारपर कोई प्रोवेट न लिया गया हो, देखो-1924 A. I. R 231 Pri.
अगर वसीयतनामेके हाशिये वाले गवाह कम दर्जे के आदमी हों तो महज इस बजे से इनकी गवाही वेवकत न मानी जायगी कि वे अच्छी हैसि. यत नहीं रखते, देखो-..1924 A. I. R. 106 Pri.
मुश्तरका खानदानका कोई मेम्बर अपनी स्वयं प्राप्त की हुई जायदाद वसीयत द्वारा मुन्तकिल कर सकता है, 1924 A. I. R 62 Nag.
अगर वसीयत नामेपर रजिस्ट्रारने यह लिख दिया हो कि मेरे मामने घसीयत करने वालेने उस बसीयतका लिखना स्वीकार किया तो यह भी उस वसीयतकी अच्छी तस्दीक है 16Cal.19;11 CA1.42 ;6Cal1 7वसीयतनामेपर गवाही करने वाले गवाहों में से ही अगर किसी गवाहके नाम कोई जायदाद दी गई हो तो वह जायदाद उसे मिलेगी और गवाही जायज़ मानी जायगी, देखो - सक्सेशन एक्ट नं० ३६ सन् १६२५ की दफा ६७ ।।
रजिस्ट्री शुदा वसीयतनामा गैर रजिस्ट्री किये हुये दस्तावेज़ द्वारा बदला जासकता है। श्यामभाई बनाम गोवधन A I. R. 1925 Mad. 195.
कोई वसीयत कर्ता अपनी मृत्यु के पश्चात् किली संयोगिक व्ययके लिये वसीयत नहीं कर सकता । यदि वह ए सी कोई वसीयत करता है तो वह नाजायज़ समझी जाती है। वैकटपाथी राजू बनाम सूर्य नरायन A. I. R. 1927 Mad. 206... दफा ८०४ कैसी लिखतें वसीयत मानी जायंगी
जिन मामलोंसे हिन्दुओं की वसीयतका कानून एक्ट नं०२१ सन् १८७० ई. जिसका संशोधन प्रोबेट एन्ड एड् मिनिस्ट्रेशन एक्ट नं०५ सन् १८८१ ई०