________________
१५२
दान और मृत्युपत्र
[सोलहवां प्रकरण
वसीयतसे स्त्रीको पूरे हक़ोंका मिलना-एक शख्लने वसीयत के द्वारा अपनी जायदाद अपनी स्त्रीको पूरे हकोंके साथ देदी और गोद लेने के लिये भी हिदायत कर दी, स्त्रीने वह जायदाद 'आर्यावर्ती सार्वदेशिक सभा दिल्लीको दान कर दी पीछे एक लड़का वसीयतकी हिदायतके अनुसार गोद लिया। दत्तक पुत्रने जायदाद वापिस पानेका दावा किया तय हुआ कि स्त्रीको पूरे अधिकार प्राप्त थे अब दत्तक पुत्र जायदाद वापिस नहीं ले सकता, देखो1923 A. I. R. 398 Pun.
वसीयतसे पतिने अपनी स्त्री को यह अधिकार दिया कि वह ५ पुत्र तक गोद ले, गोदके लड़के और विधवाके परस्पर मेल न होनेपर दोनों आधी श्राधी जायदादके मालिक हों, गोद अगर विधवा न ले तो उसे जायदादमें पूरे अधिकार रहेंगे, यह भी लिखा कि अगर विधवा और दत्तक पुत्र जायदाद बेचना चाहें और हिस्सेदार पूरे दाम न दे तो दूसरे को बेच दी जाय । बहस यह थी कि विधवा को पूरे हक़ नहीं थे माना गया कि विधवा को पूरे हक़ घसीयतसे मिल गये, दूसरेके हाथ बेच देनेकी शर्त से मालिकाना हक़ों पर बाधा नहीं पड़ती देखो-1923 A. I. R. 65 Pri. (२) कोई आदमी कानुन नहीं बदल सकता
दान या वसीयत या किसी समझौतेसे वरासतके तौरपर जो हक़ किसीको दिया जाय, अगर वह वरासतके कानूनके विरुद्ध हो तो वह हक देना नाजायज़ होगा। कोई आदमी सपनी इच्छा या नीतिके पूरे करनेके उद्देशसे, वरासतके किसी नये ढंगके हक़की सृष्टि नहीं करसकता; देखो-10 I. A. 517 9 Cal. 952513 C. L R. 62; 16 Cal. 383; 15 C. W. N. 693, 13 Bom. L. R. 451; 14 Bom. 360; 38 I. A.112;38 Cal. 603. (३) अनुचित शर्त
जव दान या वसीयत द्वारा किली जायदादमें पूरा हक देदिया जाय तो उसके साथ कोई ऐसी शर्त नहीं लगाई जासकती जो अनुचित हो और उस जायदादके भोगनेके साथ भी कोई कैद नहीं लगाई जासकती । अगर लगाई जाय तो नाजायज़ होगी। बटवारे या इन्तकाल जायदाद या किसी दूसरे समझौतेसे भी यही नियम लागू होगा; देखो 4 Mad. H. C. 345; 4 All. 518; 7 All. 516; अगर किसी जायदादके साथ यह मनाही रखी जाय कि उसका इन्तकाल न किया जाय तो यह शर्त नाजायज़ मानी जायगी; देखो6 I. A. 182; 5 Cal. 438; b C. L. R. 296, 12 I. A. 103; 11 Cal. 684; 15I.A. 37; 15 Cal. 409%
B24 Cal 834.