________________
दफा ८०५]
. घसीयतके नियम
६७४
wwwmwwwmara
वैसे मामलेमें आम हिन्दुओंकी क्या इच्छा रहा करती है या यहकि इस विषय में हिन्दुओंके क्या ख्यालात हैं, देखो-34 Bom. 278; 12 Bom.L.R.1963
351. A. 118335 Cal. 8963 12 C. W.N.7293 10 Bom. L.R.6043 .2 1. A.7; 14 B. L R. 226; 32 W. R. C. R. 409-410.
___ अदालत कब सन्देहके साथ शहादत सुनेगी?-जब किसी वसीयत. नामेके द्वारा किसीको एक बहुत बड़ी जायदाद मिल जाती हो तो वसीयत जायज़ होनेके बयान करने वालेकी तरफ वाले गवाहों की परीक्षा अदालतको बड़ी होशियारी व सन्देहके साथ करना चाहिये, देखो-102 L.C. 6367 1927 A. I. R. 264 Nag.
__ अदालत यह मान लेगी कि प्रत्येक हिन्दू अपनी मौरूसी जायदादका अपने खान्दानमेंही रहना पसन्द करता है। और यह भी मान लेगी कि साधारणतः हिन्दू यह जानता है कि स्त्री किसी जायदादपर वरासतसे पूरा अधिकार नहीं पाती और न उस सूरतमें वह उस जायदादका इन्तकाल कर सकती है, देखो-2 I. A. 7; 14 B. L. R. 226; 22 W. R. C. R. 409-410. इसी तरह अदालत यह भी मान लेगी कि हिन्दुओंके मुश्तरका खानदानमें कोपार्सनरी ( देखो दफा३६६) होती है, 23 I. A. 37; 23 Cal. 670-6797 32 All. 41.
जबकि वसीयतनामेकी भाषा बिल्कुल शुद्ध, सही और स्पष्ट हो तो जैसा उसमें लिखाहो ठीक उसीका अर्थ लिया जायगा हां यदि उस वसीयतनामे में ही कोई ऐसी बात हो कि जिसके ख्यालसे उसकी भाषाका कुछ और अर्थ समझना ज़रूरी हो तो वैसाही अर्थ लगाया जायगा-22 I. A. 119-1283; 18 Mad. 347-358; 20 Bom. 571. वसीयतनामेके स्पष्ट शब्दोंका अर्थ वसीयत करने वालेके इरादेके अनुमानसे तोड़ा मरोड़ा नहीं जा सकता 24 I. A. 763 24 Cal. 834, 1 C. W. N. 387-388.
वसीयतमें जब यह हिदायत थी कि यदि बसीयतकर्ताकी पुत्रीके पुत्र उत्पन्न हो तो वह उस जायदादका अधिकारी होगा, जो उसने अपनी स्त्रीको वसीयतमें दिया है। तय हुआ कि पुत्रीके पुत्रने उस जायदादको वसीयतके बिनापर प्राप्त किया न कि बिना वसीयतके-शिवराम अय्यर बनाम गोपाल कृष्ण चेटीयर A. I. R. 1925 Mad. 88; 47 M. L. J. 337.
कानूनी शब्दोंका जो कानूनी अर्थहै वही लगाया जायगा लेकिन अगर यह देखा जाय कि वसीयत करने वालेने उन शब्दोंका गलत व्यवहार किया है तो वसीयत करने वालेके इरादेके ख्यालसे उनका अर्थ लगाया जायगा। अब वसीयत नामेके शब्दोंसे कई तरहके अर्थ समझे जासकते हों और वसीयत करने वालेके चारो तरफ़के सम्बन्धों और इरादे आदिसे कोई एक बात