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दफा ७७०] स्त्रीधन की वरासत
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www.mmmmmmm ६ - लड़के लड़केका लड़का (प्रपौत्र) ७ -पतिकी दूसरी स्त्रीका लड़का । ८-पतिकी दूसरी स्त्रीका पौत्र । 1-पतिकी दूसरी स्त्रीका प्रपौत्र।। १० -बन्ध्या लड़की और पुत्रहीना लड़की।
डाक्टर योगेन्द्रनाथ भट्टाचार्य कहते हैं कि यौतक और अयौतक स्त्री. धनके नियम वैसाही हैं जैसाकि प्रीति-दत्तके। सिवाय इसके कि वह किसी खास सूरतमें बदल न दिया गया हो, देखो भट्टाचार्य हिन्दूलॉ P 594
(४) दूसरे प्रकार के स्त्रीधन--अन्य तरह के स्त्रीधन की बरासत इस प्रकार है
१-पुत्र और वह लड़की जो क्वारी हो यानी सगाई न हुई हो। २-व्याही हुई लड़की जिसके पुत्र हो या होने वाला हो। ३-पौष। ४-बेटीका बेटा । ५--प्रपौत्र। ६-पतिकी दूसरी स्त्रीका लड़का। ७-पतिकी दूसरी स्त्रीका पौत्र । ८-पतिकी दूसरी स्त्रीका प्रपौत्र । १-बन्ध्या लड़की या पुत्रहीना विधवा लड़की।
दायभागके अनुसार बेटीके बेटेके बाद बन्ध्या और विधवा लड़की पारिस होती है मगर पं० रघुनन्दन मिश्र और पं० श्रीकृष्ण तर्का लकारने घेटीके बेटेके बाद वेटेके पौत्रको रखा है और उन्होंने बेटेके पौत्र और बन्ध्या तथा विधवा लड़की इन दोनोंके बीचमें पतिकी दूसरी स्त्रीके पुत्र, पौत्र और प्रपौत्रको रखा है यही मत अधिक मान्य है।
निःसन्तान स्त्रीकी जायदादकी वरासत जब किसी स्त्रीके अपनी कोई सन्तान न हो और न सौतेले पुत्र और न सौतेले पुत्रकी कोई सन्तान हो तो उस स्त्रीका वारिस उसके माता पिता और उसके भाई तथा पति होता है।
कारेपनमें जो अपने माता पितासे किसी स्त्रीको धन मिला हो और फिर अपने पतिके परिवारसे और व्याहके बाद अपने पिताके कुटुम्बियोंसे से मिला हो उसकी वरासत इस प्रकार होती है
(१) भाई सगा। (२) मा । (३) बाप । (४) पति । (५) स्त्रीके चाहे सन्तान हो या न हो शुल्ककी वरासत ऊपर लिखे अनुसार होती है जैसाकि मिताक्षरामें कहा गया है, देखो दफा ७६५.