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दाम दुपटका कानून
[पन्द्रहवां प्रकरण
लिया करे । भाडा १५०)रु० सालका था इसलिये यह भी शर्त थी कि ५०)रु० महेश हर साल ब्याजका अपने पाससे अदा करता रहेगा क्योंकि २००) रु० व्याजका होता था। पीछे गणेशने २२००)रु० की नालिश महेश पर इस बयान से की कि १०००) रु० मूलधन और १२००)रु० ब्याजका जो पिछल गया है दिलाया जाय । इस जगह पर प्रश्न यह है कि क्या गणेश १२००)रु० सूद पाने का हक़दार है ? उत्तर यह है कि हरगिज़ नहीं क्योंकि कोई हिसाब करना नहीं था इसलिये दाम दुपट लागू होगा और गणेश को मूलधन के दूने से ज्यादा डिकरी नहीं मिलेगी।
(२) अब ऐसा मानो कि गणेश और महेशके बीच में कोई इकरार नहीं हुआ कि गणेश ब्याजके बदलेमें भाड़े की आमदनी लेगा, और आमदनी भी अनिश्चित है, रेहनके बाद गणेश उसकी आमदनी लेता रहा। आखीरमें गणेश ने इस बयानसे नालिश की कि मूलधन १०००) रु० और ब्याज १२००) रु० कुल २२००) रु० दिलाया जाय । ऐसी सूरतमें दाम दुपट लागू नहीं होगा क्योंकि अगर हिसाबके वक्त यह मालूम हो कि आमदनी जो बादी को मिलती है उसके मुजरा देनेपर उसका रुपया मूलधन से ज्यादा बाकी रहता है तब वह २२००) रु० की डिकरी पानेका हकदार है । विस्तारसे देखो-35 Bom. 199821 Cal. 840.