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दफा ७६६-७६८]
स्त्रीधन की बरासत
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कुमारी लड़कियोंकी हैसियतसे वारिस होती है, यानी कुमारीके साथ स्नाथ वह भी भाग लेती हैं । लड़कियां न हों तो पुत्र वारिस होते हैं।
विवाद चिन्तामणिके अनुसार पुत्रोंके पहिले लड़कीकी लड़कियां और लड़कीके पुत्र वारिस होते हैं अर्थात् पुत्र, लड़कीके पीछे वारिस होगा।
(४) निःसंतान स्त्री-निःसंतान स्त्रीके स्त्रीधनकी वरासत मिताक्षराके अनुसार होती है देखो दफा ७६५ और देखो बच्चाझा बनाम जगमनझा 12 Cal. 343; केसरबाई बनाम हंसराज मुरारजी 33 I. A. 176, 30 Bom. 431; 10 C. W. N. 802; 21 Cal. 344; मदनपारिजातके अनुसार पतिकी दूसरी स्त्रीकी लड़की या दूसरी स्त्रीकी लड़कीका लड़का वारिस होता है। मिथिला स्कूलमें सौतेली बहनके लड़के वारिस होते हैं, देखो-2 Ben. Sel. R. 23-27.
(५) कृत्रिमदत्तक--यदि स्त्रीने कृत्रिमरीतिसे दत्तक लिया हो तो वह पुत्र उसके स्त्रीधनका वारिस होता है। कृत्रिमदत्तक देखो दफा ३०५से ३११. दफा ७६८ बम्बई स्कूल
बम्बई, द्वीप, गुजरात और उत्तरीय कोकनमें मयूख प्रधान रूपसे माना जाता है, देखो दफा २३-३ मगर बम्बई प्रान्तके दूसरे भागों में जैसे महाराष्ट्र देश, दक्षिणीय कोकन और उत्तरीय कनारा आदिमें मिताक्षराकी प्रधानता है। मतलब यह है कि जहांपर मयूख माना जाता है वहांपर उसके अनुसार और जहांहर मिताक्षरा माना जाता है वहांपर उसके अनुसार स्त्रीधनकी वरासत होगी। नीचे मयूखलॉके अनुसार स्त्रीधमकी वरासतका वर्णन किया गया है:
- पितासे वरासतमें प्राप्त हुई जायदाद-बरार, बम्बई और बरारमें, जहां कि स्त्री अपने पिताकी जायदाद वरासत से प्राप्त करती है, वहां उसका जायदादपर पूर्ण अधिकार होता है और उसकी मृत्युके पश्चात् वह जायदाद उसकी पुत्रीको बमुकाबिले उसके पुत्रके मिलती है। कृष्ण बनाम बायाजी 87 I. C. 1010; A. I. R. 1925 Nag. 342. मयूखके अनुसार स्त्रीधनकी वरासत इस प्रकार होती है
(१) शुल्क-शुल्ककी वरासत मिताक्षराके अनुसार होती है देखो दफा ७६५.
(२) अन्वाध्येयिक स्त्रीधन--अन्वाध्येयिक स्त्रीधन और प्रीतिदत्त स्त्रीधनके वारिस पुत्र और लड़कियां दोनों साथमें समान भाग लेते हैं । यदि कारी लड़कियां न हों तो पुत्र और विवाहिता लड़कियां उसी तरह पर लेती