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स्त्री-धन
[ तेरहवां प्रकरण
हमें यह माना गया था कि विवाह चाहे किसी रीतिका हो स्त्रीके जायदाद की वरासत स्त्रीके मरने पर इस तरहपर होती है कि मानों वह स्त्री मर्द थी और अपने पिता के एक मात्र पुत्रके तौर पर भी, देखो -- 12 Bom. 505; 9 Bom. 301; 8 Bom H. C. O. C. 244.
अपने पति की दूसरी विधवा और अपने पति के भतीजे के होते पतिका पुत्र ( दूसरी स्त्रीसे) वारिस होगा, देखो - गोजाबाई बनाम सहाजीराव मलोजी बानी भोसले श्रीमंत 17 Bom. 114 और पति के भाईके पुत्रके पहिले पति का भाई वारिस होगा 7 Bom L. R. 622.
पतिके भाई या भाईके पुत्रके पहिले, पतिकी दूसरी विधवा वारिस होगी देखो - केसरबाई बनाम हंसराज 33 I. A. 176; और 30 Bom, 431; 10 C. W. N. 802.
त्रीकी मरी हुई लड़की की लड़कीके पहिले, पति के पुत्रकी स्त्री वारिस होती है- नर्बदा बनाम भगवन्तराय 12 Bom. 50; सौतेली लड़की का लड़का विधवाका वारिस होता है ।
मिताक्षराके अनुसार मयूखमें भी पति के सातवीं डिगरी तकके सर्पिण्ड वारिस होते हैं । इस बातका प्रमाण भी मौजूद है कि बेटीका पौत्र और पति की बहन भी वारिस होती है । समानोदक भी वारिस होते हैं, यह वात
निश्वत है; लेकिन सर जी० डी० बनर्जी की राय है कि वह होंगे, अगर पति के रिश्तेदार न हों तो उस स्त्रीके अपने रिश्तेदार वारिस होंगे। यह राय मि० बेस्ट और बुहलरकी भी हैं । बनर्जी इस रायसे सहमत हैं परन्तु यह स्पष्ट नहीं हुआ कि स्त्रीके रिश्तेदार पति के समानोदकों से पहिले वारिस होंगे या पीछे, देखो - बनर्जीलॉ आफ मेरेज P. 378.
माके भाई के होते बापकी बहन और वापकी बहन के पौत्रके होते बाप की बहनका पुत्र वारिस होगा, देखो 9 Bom. 301; ब्राह्म विवाह के अनुसार स्त्रीधनकी वरासत इस प्रकार है:
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( १ ) पति, पतिके न होनेपर पतिके सपिण्ड ( २ ) पतिका पुत्र ( दूसरी स्त्री ) ( ३ ) पति की दूसरी विधवा ( ४ ) पतिका भाई ( ५ ) पति के भाई का पुत्र ( ६ ) पति पुत्रकी स्त्री ( ७ ) स्त्रीकी मरी हुई लड़की की लड़की (८) सौतेली लड़की का लड़का (६) सौतेली लड़की का पौत्र ( १० ) पति की बहन (११) स्त्री के बापकी बहन ( १२ ) स्त्रीकी माका भाई ( १३ ) स्त्रीके बापकी बहनका पुत्र । ( १४ ) स्त्रीके बापकी बहनका पौत्र ।