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स्त्री-धन
[ तेरहवां प्रकरण
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शुल्कका क्रम इस प्रकार है:- र (१) सगे भाई (२) मा (३) पिता (४) बापके वारिस यानी
बापके सपिण्ड, समामोदक, बन्धु । [२] यदि स्त्रीके सन्तान हो तो दूसरे प्रकारके स्त्रीधनकी वरासत निम्न लिखित होगी:
(१) कुमारी लड़की (२) विवाहिता लड़की जो गरीब हो या निः सन्तान हो (३) विवाहिता लड़की जो अमीर हो या सन्तान वाली हो । (४) बेटी की बेटी (५) लड़कीका लड़का (नेवासा दोहिता) (६) पुत्र (७) पौत्र (८) सौतेली स्त्री की बिन विवाहिता लड़कियां सिर्फ ऊंची जातोंमें।
नांचे प्रत्येककी व्याख्या देखोः(१) कुमारी लड़की-बनर्जी ने अपने लॉ आफ मेरेज 2 ed. P. 342 में कहा है कि-चाहे सगाई होगयी हो या नहीं, कुमारी लड़कियां हकदार होती हैं । ऐसी लड़कियों को बराबर हिस्सा मिलेगा।
(२) विवाहिता लड़की जो गरीब हो, देखो-दानू बनाम दखू 4All. 243. और जो निर्धन हो या निःसन्तान हो, देखो-मिताक्षरा और व्यवहार मयूख।
(३) विवाहिता लड़की जो खुशहाल हो चाहे उसके पुत्र हों या नहीं, देखो--विनोदकुमारी देवी बनाम प्रधान गोपालसाही 2 W. R. C. R. 176 177; 21 Mad. 58. और वीर मित्रोदय देखो।
निःसन्तान लड़की, खुशहाल लड़की, और गरीब लड़की इन तीनों के हकमें क्या मेद है इस विषयमं बनर्जी कहते हैं कि 'मेरे ख्यालमें विज्ञानेश्वर का अभिप्राय यह है कि गरीब लड़की चाहे उसके सन्तान हो या न हो खुशहाल लड़कीसे पहिला हक वरासत पानेका रखती है, चाहे उस खुशहाल लड़कीके कोई सन्तान हो या न हो। जब दोनों लड़कियां बराबरकी हालतमें हो तो निःसन्तान लड़कीका हक पहिले माना जायगा, और अगर दोनों लडकियां न्यूनाधिक गरीव हों तो उनके विषयमें कोई निश्चित नियम नहीं रखा जा सकता, अदालत दोनों की हालतोंपर विचार करके वरासतमें स्त्रीधन देगी देखो-बनर्जीका लॉ श्राफ मेरेज 2 ed. 342.
ऐसा माना गया है कि लड़कियों की गरीबीकी कमी या ज्यादतीके अनुसारही वरासतका फैसला होगा-पोली बनास नरोत्तम बापू 6 Bom. H. C. A.C. 183; 2 All.561.