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भरण-पोषण
[बारहवां प्रकरण
दे सकता है-2 All. 315; 23 All. 863 5 Bom. 991 15 Cal. 2925 2 Bom. L. R. 1082.
किसी हिन्दू द्वारा वसीयतमें उस रकमका वर्णन जो उसकी पत्नीको परवरिशके लिये मिलना चाहिये, केवल उसके विचारका द्योतक है, जो उसकी समझमें परवरिशके लिये उचित है। अदालत परवरिशके मामले में उसके पालन के लिये बाध्य नहीं है -काकी नरसम्मा बनाम वेङ्कट राजू 93 I. C. 6869 23 L. W. 364; A. I.R. 1926 Mad. 534. दफा ७४० जायदादपर भरण पोषणके ख़र्चका बोझ
(१) का पहिले चुकाया जायगा-पति या खानदानके जिम्मे जो कर्ज हो उसके चुकानेके बादही स्त्री, या विधवाको भरण पोषणका खर्च दिया जा सकता है। किसी डिकीया इक़रारनामेसे भरण पोषणका जो खचे किसी जायदादपर डाला गया हो तो वह खर्च पहिले अदा करना या कर्ज पहिले मदा करना, इसका निश्चय अभी तक नहीं हुआ। इलाहाबाद हाईकोर्टने श्याम लाल बनाम बन्ना 4 All. 296, 300. और गुरदयाल बनाम कौशिल्या 5 All. 367. इन दो मुकद्दमों में यह माना कि कर्ज पहिले चुकाया जायगा। इस पर मि० दिवेलियन अपने हिन्दूलों के पंज ५० में कहते हैं कि डिकरीसे द्वारा भरण पोषणका जो खर्च किसी जायदादके ज़िम्मे डाला जाय उसका वही दर्जा है जो रेहनका है और वह उस जायदादपर पड़ने वाले पीछेके सब खर्ची और नजों से पहिले अदा किया जायगा, देखो-27 Cal. 194;2 Bom. 49 4.
इकरारनामेसे भरण पोषणका जो खर्च जायदादके जिम्मे पड़ा हो वह भी नगर करने वाले या उसके प्रतिनिधि के जिम्मे के क़र्जी के पहिले चुकाया जायगा, मगर शर्त यह है कि इकरारनामे में लेनदारों के हक़में कोई धोखा न दिया गया हो और यह कि वह इक़रारनामा कानून इन्तकाल जायदाद एक्ट नं०५सन्१८८२ई०की दफा ५८, ५६ की शौके अनुसार हो । वसीयतके द्वारा भरग पोषण का जो खर्च नायदादपर डाला गया हो वह खर्च वसीयत करने वालेके कर्जेसे पहिले अदा नहीं किया जा सकता।
हिन्दू वसीयत कर्ताका वसीयत करने का अधिकार उसकी विधवाकी परवरिशके काफी क़ब्जेके मातहत है। वह अपनी जायदाद का तसफ़ विधवाकी परवरिशसे स्वतन्त्र नहीं कर सकता--देवीवाई बनाम दादाभाई मोतीलाल 89 I C. 164.
एक स्त्रीको परवरिशके लिये दी हुई जायदादका इन्तनाल- स्नरीदार को शात था, कि जायदादपर परवरिशकी पाबन्दी है और यहकि उस अधिकारका इन्तकालसे खून हो जायगा--खरीदारके सम्बन्धमें, उस अधिकारके