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भरण-पोषण
[बारहवां प्रकरण
दफा ७४३ जायदादका इन्तकाल
कोई खरीदार जब पूरा दाम देकर कोई जायदाद खरीदे तो वह उस जायदादके ज़िम्मे पड़े हुये भरणपोषणके खर्चका देनदार है या नहीं ? इस बात पर अदालतोंमें बड़ा विवाद होचुका है। इस विषयमें कानून इन्तकाल जायदाद एक्ट नं०४ सन् १८८२ई०की दफा ३६ का ध्यान रखना चाहिये । नजीरोंमें भी उसीका समर्थन किया जाचुका है 2 Bom. 494; 12 B. L. R. 1075.
उक्त ३६ वी दफा इस प्रकार है-"जब किसी गैरमनकूला जायदाद के मुनाफेसे कोई आदमी भरणपोषणका खर्च या विवाहका खर्च पानेका अधि. कारी हो और उसके ऐसे अधिकारके मारने की नीयतसे जायदादका इन्तकाल किया गयाहो और यह बात खरीदारको मालूम हो तो वह खरीदार उन खौँ के देने का पाबन्द होगा, परन्तु अगर खरीदारने पूरा दाम दिया हो और उस को किसीके खर्च पानेकी सूचना न हो, तो वह ज़िम्मेदार नहीं होगा।"
उदाहरण-जय नामके एक हिन्दने इन्द्रपुर नामका गांव अपनी विधवा भावज रत्नमयीको उसके भरणपोषणके लिये उसके नाम मुन्तकिल कर दिया, और यह इकरार किया कि अगर इन्द्रपुर रत्नमयीके क़ब्ज़ेसे जाता रहे तो जय दूसरे गांवमें, जो गांव रत्नमयीको पसन्द हो उतनी ही ज़मीन उसको दे देगा। परन्तु जयने वे दूसरे गांव गणेशके हाथ बेच दिये। गणेशने नेक नीयतसे उन्हें खरीद लिया और पूरा दाम देदिया। जय और रत्नमयीके बीच के उस इक़रार की खबर गणेश को कुछ न थी। रत्नमयी इन्द्रपुर से बेदखल हो गयी। ऐसी सूरत में गणेशके खरीदे हुये गावों पर उसका कुछ दावा नहीं चलसकता।
(१) जिस डिकरीके द्वारा भरणपोषणका खर्च किसी जायदाद पर डाला गया हो तो उसका पावन्द उस जायदादका खरीदार अवश्य होगा, देखो--कुलोदाप्रसाद बनाम जागेश्वर कुंवर 27 Cal. 194; 2 Bom. 494; परन्तु यदि उस जायदादपर कोई ऐसा क़र्ज़ा हो जिसका भरणपोषणके खर्चसे पहिले अदा किया जाना हिन्दूलॉके अनुसार ज़रूरीहो, या जिस कर्जेकी पाबंद विधवा हो, ऐसी डिकरीके नीलामका खरीदार भरणपोषणका खर्च देने के लिये पाबन्द नहीं है, देखो--श्यामलाल बनाम वाना 4 All. 296; 5 All. 367.
जिस जायदादपर किसीके भरणपोषणका खर्च स्पष्ट रूपसे डाला गया हो वह जायदाद उस खर्च की पाबन्द होगी। अगर भरणपोषणका खर्च देने योग्य वारिसोंके हाथमें दूलरी कोई जायदाद भी हो तो वही जायदाद कि जिसपर उसका बोझ डाला गया है खर्च देने की पाबन्द रहेगी दूसरी जायदाद नहीं होगी. देखो--4 All.296-300.